- बच्चों की बहुमुखी प्रतिभा देखकर गद्गद् हो गये अभिभावक
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, आर.डी.एस.ओ. कैम्पस द्वारा ‘पैरेन्ट्स डे एवं ग्रैण्डपैरेन्ट्स डे’ बड़े धूमधाम से उमंग व उल्लास से सराबोर वातावरण में सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। समारोह में छात्रों के दादा-दादी व नाना-नानी को विशेष रूप से आमन्त्रित किया गया था। इस भव्य समारोह में अपने नाचते-गाते बच्चों की बहुमुखी एवं बाल सुलभ प्रतिभा को देखकर दादा-दादी व नाना-नानी गदगद हो गये एवं जोरदार तालियां बजाकर छात्रों का उत्साहवर्धन किया। इससे पहले मुख्य अतिथि के रूप में पधारे श्री ताहिर इकबाल, रजिस्ट्रार आॅफ सोसाइटीज, ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री इकबाल ने कहा कि हमें बच्चों को अच्छा संसार देने की शुरूआत घर-परिवार से करनी चाहिए। ऐसे कार्यक्रम बच्चों में निहित प्रतिभा को विकसित करने का सुअवसर प्रदान करते हैं। इस समारोह के भव्य आयोजन हेतु उन्होंने सी.एम.एस. आर.डी.एस.ओ. कैम्पस की प्रधानाचार्या सुश्री एस. मंशारमानी को हार्दिक बधाई दी।
समारोह का शुभारम्भ बच्चों द्वारा प्रस्तुत सर्व-धर्म प्रार्थना से हुआ जिसने सभी के हृदयों को प्रभु प्रेम से भर दिया। विश्व शान्ति प्रार्थना में बच्चों ने विभिन्न देशों के राष्ट्रीय ध्वज हाथों में लेकर ‘सारे विश्व में शान्ति हो’ का जयघोष बड़े ही प्रभावशाली ढंग से किया। विभिन्न प्रान्तों के लोक नृत्यों के प्रस्तुतीकरण द्वारा अनेकता में एकता, सहयोग, सहकार एवं सामूहिकता का अभूतपूर्व एवं विराट दृश्य प्रस्तुत करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। बच्चांे ने वल्र्ड पार्लियामेन्ट प्रस्तुतिकरण द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक व्यवस्था की स्थापना एवं उसके प्रति सम्मान हेतु ”विश्व संसद“ बनाने की आवश्यकता की ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया।
सी.एम.एस. आर.डी.एस.ओ. कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती स्वप्ना मंशारमानी ने इस अवसर पर छात्रों की प्रतिभा की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमें अभिभावकों का जो सहयोग बराबर मिलता है यह उसी का परिणाम है। सी.एम.एस. में शिक्षा के माध्यम से ऐसे प्रयास किये जा रहे है जिसके द्वारा प्रत्येक बालक ईश्वर की शिक्षाओं का पालन करें और इस बात को आत्मसात कर सकें कि मानव जाति की सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि इस तरह के समारोहद्वारा अभिभावकों को इस बात के लिए प्रेरित करना है कि बालक की प्रथम पाठशाला घर है। उन्होंने अभिभावकों का आह्वान किया कि भावी पीढ़ी के चारित्रिक, नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान के लिए संकल्पबद्ध हों एवं बच्चों को नैतिकता एवं आध्यात्मिकता का वातावरण घर व विद्यालय में उपलब्ध कराकर आदर्श विश्व समाज की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करें। डा. गाँधी ने अभिभावकों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक बालक को अच्छा और स्मार्ट बनाने का विद्यालय का लक्ष्य अभिभावकों के सहयोग से ही पूरा हो सकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री