प्रदेश में अधिकांश विद्यालयों और कक्षाओं की दीवारों पर एक साधारण चेहरा आमतौर पर देखने को मिलता है। यह चेहरा है 9 वर्षीय मीना का जिसने प्रदेश के बच्चों के दिलों में अपनी जगह बना रखी है। गुलाबी रंग के कपड़े में यह काल्पनिक चरित्र उत्तर प्रदेश में अधिकांश बच्चों के लिए एक अनुकरणीय प्रतिरूप है। मीना कोई सुपर हीरो नहीं है बल्कि अद्भुत जीवन कौशल से युक्त एक साधारण लड़की है। यह अपने आस-पास की दुनिया के बारे में प्रश्न पूछती है और अपने व्यवहार के बारे में प्रत्येक को सोचने के लिए मजबूर करती है। यूनिसेफ के सहयोग से सर्व शिक्षा अभियान मीना को बच्चों की दुनिया में लाए हंै। यह एक प्रेरणादायक चरित्र रही है जो बच्चों के अन्दर विश्वास जगाती है जिससे वे भी इनका अनुकरण कर सकते हैं।
मीना की कहानियों से स्कूल जाने वाले ग्रामीण बच्चों में बढ़ोतरी हुई है। ये कहानियाँ उन तक दूरदर्शन, रेडियो, काॅमिक्स, किताबों, फ्लिप चार्टों और पोस्टरों के माध्यम से पहुँचाती है। इन कहानियों से बच्चों को प्रेरणा मिली है और पूरे राज्य में हजारों की संख्या में मीना मंच का गठन किया गया है। आज, उत्तर प्रदेश में 40,000 से अधिक मीना मंच सक्रिय हैं। मीना मंच के सदस्य महीने में एक बार मिलते हैं और इन कहानियों का सम्पादन करते हैं। अपने बल पर, ये मंच कुछ बाल विवाह को रोकने, पढ़ाई छोड़ने वाली लड़कियों को वापिस स्कूल लाने, घर एवं समुदाय में लिंग असमानता पर चर्चा करने, स्वस्थ खान-पान की आदतों को बढ़ावा देने एवं खाने से पहले साबुन से हाथ धोने और अन्य अच्छी आदतों को अमल करवाने में मददगार रही है। 24 सितम्बर, 1998 को मीना कम्यूनिकेशन पहल की शुरूआत की गई और हर वर्ष इस दिन को मीना दिवस के रूप में चिन्हित किया गया है। यह दिन लड़कियों के लिए हमारी प्रतिबद्धता कि पुनः पुष्टी करता है। इस वर्ष भी, पूरे राज्य में इस दिवस को मनाया गया। लखनऊ में, इस दिवस को मनाने के लिए लगभग 250 बच्चे फन रिब्लिक माॅल के सामने स्थित संगीत नाटक अकेडमी के संत गाडगे जी आॅडीटोरियम में 24 सितम्बर को सुबह 11 बजे एकत्रित हुए। सर्व शिक्षा अभियान और यूनिसेफ ने ‘‘मीना रत्न’’ पुरस्कारों की स्थापना की। यह पुरस्कार उन बच्चों को दिये गये है जिन्होंने अपने ग्रामीण परिवेश में: नेतृत्व क्षमता दिखाने, कड़ी चुनौतियों का सामना करने और बदलाव के लिए उत्प्रेरक बनने में उल्लेखनीय चरित्र प्रदर्शित किए हैं। 24 सितम्बर, 2012 को 11 चयनित बच्चों को पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इस वर्ष 11 शिक्षकों को भी उनके द्वारा बच्चों को मीना कार्यक्रम से प्रोत्साहित करने और उन्हें एक बेहतर दुनिया का रास्ता दिखाने के लिए ‘‘मीना रत्न शिक्षक’’ पुरस्कारों से नवाजा गया। इस वर्ष के कार्यक्रम में बच्चों की विद्यालयों में नियमित उपस्थिति को बढ़ावा देना पर विशेष ध्यान दिया गया है, क्योंकि अनियमित उपस्थिति शिक्षा के स्तर पर एक बुरा प्रभाव डालती है, मीना दिवस 2012 नियमित उपस्थिति के महत्व पर बल दिया गया। वर्तमान में, मीना की कहानियाँ अत्यन्त लोकप्रिय मीना की दुनिया के जरिए रेडियो पर प्रसारित किया जा रहा है। प्रदेश में तमाम बच्चे इस 15 मिनट के रेडियो प्रसारण को कक्षा में विचार-विमर्श के बाद अध्ययन के दौरान सुनने का आनन्द ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश में मीना रेडिया की सफलता को देखकर, अन्य राज्यों जैसे आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश ने भी मीना रेडियो का स्थानीय भाषाओं में प्रसारण शुरू किया गया है। इस अवसर पर कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय सरोजनी नगर के विद्यार्थियों ने शिक्षा के महत्त्व को एक रंगा रंग कार्यक्रम (नाटक) के रूप में प्रस्तुत किया। अतुल कुमार, आईएएस (सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक) इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपनी उपस्थित प्रदान की और कहा, ”शिक्षा वह कुंजी है जो किसी भी ताले को खोल सकती है।” साथ ही अपने शब्दों में उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा कि वृद्धि में मीना ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐडिशनल डायरेक्टर, सर्व शिक्षा अभियान, श्री. डी. बी. शर्मा ने भी कहा की, बालिकाओं ने भी विद्यालय जाने की ओर कदम बढ़ाया है, और हमारा विश्वास है की वह आगे भी बहुत बेहतर करेंगी। श्री पाओलो मेफालोपुलोस, युनिसेफ के संचार विकास के मुख्य ने भी इस अवसर की शोभा बढ़ाते हुए कहा, ”खेल में शिक्षा की प्रणाली किताबी शिक्षा से बेहतर साबित हुई है।” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों तक सन्देश पहुचाने में शिक्षक अहम भूमिका निभाते हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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