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बाल अधिकार संरक्षण के लिए जागरूकता आवश्यक: विधान सभा अध्यक्ष

Posted on 23 September 2012 by admin

50शिक्षा के मौलिक अधिकार कानून को लागू करने से पहले बच्चो के पुष्टाहार और स्वास्थय के मौलिक अधिकार को सुनिश्चित किता जाना चाहिए जोकि मानवाधिकार आयोग और श्रम विभाग के संयुक्त प्रयास से किया जाना चाहिए. यह बात आज माइंड शेयर द्वारा आयोजित बाल अधिकार सम्मलेन कि अध्यक्षता करते हुए  विधान सभा अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डेय ने कही. उन्होंने अपने अनुभवों का उल्लेख करते ही कहा कि ज्यादा तर बच्चे इसलिए मजदूरी करने को मजबूर होते हैं क्यूँ कि उनका आर्थिक स्थिति दयनीय हनी के कारन उनको उचित पालन पोषण ही नहीं मिल पता. अतः वोह मजदूरी करके पेट भरने को बाध्य हैं. इस अवसर पर वक्ताओं ने बच्चों के अधिकारों के संरक्षण पर बाल दिया. सम्मलेन को संबोधित करते हुए विधान सभा अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा बच्चो के अधिकारों का संरक्षण सर्कार का उत्तर दायित्व है. उन्होंने ने स्कूलों में बच्चो के अधिकारों की जाकरूकता की आवाक्श्यकता पर बाल देते ही कहा की आज ज़रूरी है की हर बच्चे को उसके अधिकार मालूम हो और उसका मौलिक मार्गदर्शन हो. उन्होंने कहा कि बच्चे  उन्होंने कहा कि बाल श्रम प्रदेश कि एक मुख समस्या है. उत्तर उत्तर शासन द्वारा उनके  संरक्षण और समग्र विकास के लिए १४ वर्ष तक शासन कि अनेक योजनायें चलायी जा रही है लेकिन समस्त बच्चो को इसका लाभ नहीं मिल पारहा  है . अपने अध्यक्षीय भाषण में विधान सभा अध्यक्ष ने सभी से बाल श्रम के खिलाफ जनता को जागरूक होने की अपील करते हुए कहा की जनता जब बाल श्रम के खिलाफ जागरूक होगी तो तभी इस समस्सया का निदान संभव होगा.
माइंड शेयर द्वारा आयोजित बाल अधिकार सम्मलेन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन प्रोफेसर शांता सिन्हा ने उत्तर प्रदेश में बिना समय बिना समय व्यर्थ किये राज्य बाल अधिकार  संरक्षण  आयोग की स्थापना की जाने की मांग की. उन्होंने बाल श्रम को देश की प्रमुख समस्या बताते हुए कहा की सरकारों द्वारा इसपर लगाम लगाने के अनेक प्रयास किये जारहे हैं लेकिन इसका प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त नहीं हो पा रहा है क्यूंकि समाज से बाल श्राम प्रथा का पूर्न्यथा उन्मूलन नहीं हो पा रहा जैसा की शासन की मंशा है.
सम्मलेन को संबोधित करते हुए पूर्व राज्यपाल श्री सय्यद सिब्ते रजी ने बाल श्रम को देश की प्रमुख समस्या बताया. उन्होंने कहा की इनके अधिकारों को विभाग और कानून द्वारा संरक्षित तो किया गया है लेकिन जागरूकता की कमी और देश की आर्थिक स्तिथि के करक बाल श्रम आजभी देश की सबसे बड़ी समस्या है.
सम्मलेन को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस विष्णु सहाए ने बच्चों के मौलिक अधिकारों का उल्लेख करते हुए उनके अधिकारों के सम्मान पर बल दिया.
51सम्मलेन में विशिष्ट अतिथि श्री लव वर्मा (प्रमुख सचिव, महामहिम राज्यपाल) ने बच्चो के विकास, संरक्षण और भागीदारी की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि यदि हम बच्चों के बचपन और उनके अधिकारों का संरक्षण करेंगे तो यह उनको  सही रूप में उपहार होगा.
इस सम्मलेन को श्री जीतेन्द्र कुमार (सचिव, उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग) ने स्कूलें में मानवाधिकार के बारे में जागरूकता किये जाने कि आवश्यकता है. उन्होने उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग द्वारा किये जारहे कार्यों का भी उल्लेख किया.
सम्मलेन को यूनिसेफ की चीफ आदेल खुदर ने भी सम्भोदित किया. उन्होंने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण शेत्रों में बच्चों की स्तिथि की जानकारी दी. उन्होंने जौनपुर और श्रावस्ती में अपने अनुभवों का उल्लेख भी किया. उन्होंने यूनिसेफ के मीना  रेडियो के द्वारा बच्चों की भागीदारी और अभिव्यक्ति के लिए किये गए प्रयासों की जानकारी दी.
सम्मलेन के आयोजक श्री सय्यद जुल्फी और फादर पॉल रोड्रिक्स ने उपस्थित अतिथियों को धन्यवाद् ज्ञापित किया.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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