नई दिल्ली -प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने देश की कानूनी और न्यायिक व्यवस्था को बहुत विरोधाभासीं बताते हुए आग्रह किया कि देश की लोकतन्त्र की जड़ों को मजबूत बनाने के लिए न्याय प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत है। आम आदमी को त्वरित न्याय मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने राज्य सरकारों से जल्दी से जल्दी ग्राम अदालतें स्थापित करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ग्राम न्यायालय अधिनियम पारित कर चुकी है। अगर राज्य सरकारें इसे अमल में लाएं तो पूरे देश में पंचायत स्तर पर 5000 से ज्यादा अदालतें पूरी तस्वीर बदल सकेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अदालतों में ढाई करोड़ मुकदमे लंबित होने पर चिंता जताई और त्वरित न्याय की जरूरत बताई।
कानून, न्याय और आम आदमी विषय पर कांग्रेस की ओर से आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में उद्घाटन भाषण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की कानूनी और न्याय व्यवस्था हमारे लोकतन्त्र के मजबूत आधार स्तम्भो में से एक है। हमारे लोकतन्त्र और कानूनी व्यवस्था में शक्ति जिसकी पूरी दुनिया में प्रशंसा होती है। हमारे पास एक स्वतन्त्र प्रेस, एक स्वतन्त्र न्यायपालिका, निर्वाचन आयोग तथा नियन्त्रक और महालेखा परीक्षक जैसी स्वतन्त्र संस्थाएं हैं, जो हमारे लोकतान्त्रिक ढांचे को नियन्त्रित करती हैं। हमारी सरकार आम आदमी को कानूनी रूप से सशक्त बनाने को बहुत महत्व देती है। इसी कड़ी में उन्होंने सीबीआई की 71 विशेष अदालतें गठित करने का जिक्र किया। सिंह ने कहा कि निश्चित रूप से ये अदालतें सामान्य अदालतों की तुलना में मुकदमों का निस्तारण तेजी से कर रही हैं। प्रधानमंत्री का सबसे ज्यादा जोर ग्राम अदालतों की स्थापना पर था। बकौल प्रधानमंत्री, ग्राम अदालतें स्थापित कर ही वास्तव में हम आम आदमी को उसके दरवाजे तक न्याय पहुंचा सकेंगे।
न्यायिक सुधारों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की पुरजोर पैरवी करते हुए मनमोहन ने वादा किया कि अगर बार और बेंच थोड़ा आगे बढ़े तो हम बहुत लंबा सफर तय करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कानूनी व न्यायिक सुधार अकेले न्यायपालिका और विधायिका की ही जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि वकीलों का भी कर्तव्य है। प्रधानमंत्री ने शिकायती लहजे में कहा कि देश की न्यायिक प्रणाली का लोहा पूरी दुनिया मानती है, लेकिन करोड़ों मुकदमों का लंबित होना उस पर एक दाग है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि न्याय ‘प्रभावी और दृढ़’ होना चाहिए। संप्रग सरकार के पहले कार्यकाल की ही तरह दूसरे कार्यकाल में भी सुधारात्मक कदमों की बात करते हुए सोनिया ने आरटीआई, नरेगा और अब महिला आरक्षण विधेयक का जिक्र किया। उन्होंने न्यायिक सुधारों की प्रक्रिया तेज करने और उसे आम आदमी के लिए ज्यादा प्रभावी बनाने पर जोर दिया।
कार्यक्रम के कर्ता-धर्ता, कांग्रेस प्रवक्ता और पार्टी के कानून व मानवाधिकार विभाग के अध्यक्ष डा. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस कार्यक्रम को आगे और वृहत् स्तर पर ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस दफा डेढ़ हजार वकील पूरे देश से आए हैं। अगली बार तालकटोरा स्टेडियम में 5-10 हजार वकीलों की उपस्थिति में कार्यक्रम किया जाएगा।
तीन सत्रों के इस कार्यक्रम को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, गृह मंत्री पी. चिदंबरम व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी संबोधित किया।