अवस्थापना सुविधाओ के विकास चुनौतियाँ और संभावनाएँ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

Posted on 24 March 2010 by admin

नई दिल्ली - प्रधानमन्त्री डॉ0 मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अवस्थापना सुविधाओं के विकास, चुनौतियां और सम्भावनाएं विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें देश भर के वित्त/योजना मन्त्रियों ने भाग लिया। प्रधानमन्त्री ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि नौ से दस फीसदी वृद्धि का लक्ष्य पूरा करने के लिए ढांचागत क्षेत्रों, बिजली, सड़क, सिंचाई, दूरसंचार, हवाई एवं जलमार्गो सहित विभिन्न विकास परियोजनाओं में दस खरब डॉलर यानी 41 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी।

वैश्विक आर्थिक मन्दी के प्रभावों से उबरने के बाद सरकार ने बारहवीं योजना में पूरा ध्यान देश के विकास पर केन्द्रित करने की तैयारी कर ली है। बुनियादी ढांचा पर योजना आयोग के राष्ट्रीय सम्मेलन में सिंह ने  कहा कि अगर इन परियोजनाओं पर प्रभावी निवेश होगा तो विकास का पहिया सरपट दौड़ने लगेगा। शुरुआती आकलन में यह बात सामने आई है कि 12वीं योजना में देश में ढांचागत झेत्र की परियोजनाओं में 41 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं वित्त मन्त्रालय और योजना आयोग से आग्रह करता हूं कि वह इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये कार्ययोजना तैयार करे। उन्होंने राज्यों से भी कहा कि वह अपने स्तर पर ढांचागत परियोजनाओं की गहन निगरानी के लिए तन्त्र विकसित करें ताकि 11वीं योजना के बाकी बचे दो साल में बेहतर लक्ष्य हासिल कर सकें। वर्तमान 11वीं पंचवर्षीय योजना मार्च 2012 और बारहवीं योजना 2017 तक चलेगी।

प्रधानमन्त्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में वैश्विक आर्थिक माहौल कठिन रहने की आशंका के चलते देश को उच्च आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर लाना आसान काम नहीं होगा, साथ ही उन्होंने कहा दो अंकों में विकास दर को हासिल करना असंभव नहीं है।  एशिया की कई दूसरी अर्थव्यवस्थाओं में भी इसे हासिल किया गया है।  वर्ष 2008.09 में देश से 200 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वैश्विक आर्थिक संकट के चलते वर्ष के दौरान मात्र 185 अरब डॉलर का ही निर्यात हो सका था।  इसमें ग्रामीण सड़कों से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग, रेल, हवाई और जलमार्ग, सिंचाई, बिजली परियोजनाओंए दूरसंचार और जलापूर्ति परियोजनाएं शामिल हैं।

राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, केंद्रीय सड़क परिवन एवं राजमार्ग मंत्री कमलनाथ, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे और योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने भी हिस्सा लिया।

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