Archive | January, 2010

गो-ग्राम यात्रा समिति प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा

Posted on 31 January 2010 by admin

नई दिल्ली -विश्व मंगल गो-ग्राम यात्रा समिति प्रतिनिधिमंडल ने गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने, गाय को देश की सांस्कृतिक धरोहर घोषित करने, गोसंवर्धन मंत्रालय बनाने तथा प्रत्येक राज्य में कामधेनु विश्व विद्यालयों की स्थापना किए जाने की मांगों को लेकर रविवार को  राष्ट्रपति प्रातिभ पाटिल जी से मिलकर देश भर से इकट्ठा कराए गए 8 करोड़ 35 लाख 67 हजार 41 हस्ताक्षर वाला ज्ञापन उन्हें सौंपा।

समिति की तरफ से जारी विज्ञप्ति के अनुसार ये हस्ताक्षर देश भर में निकाली गई विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के तहत जुटाए गए थे। विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा कुरुक्षेत्र से 30 सिंतबर 2009 को शुरू हुई थी जो 17 जनवरी को नागपुर में समाप्त हुई। समिति के प्रतिनिधिमंडल में आरएसएस के पूर्व प्रमुख के.एस. सुदर्शन ,योगगुरु स्वामी रामदेव और विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधि शामिल थे। योगगुरु स्वामी रामदेव ने राष्ट्रपति से गो आधारित स्वास्थ्य नीति बनाने का आग्रह भी किया।

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अश्लील वेबसाइटों पर लगाम लगाना जरूरी

Posted on 31 January 2010 by admin

नई दिल्ली - सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के.जी बालाकृष्णन ने रविवार को साइबर कानून प्रवर्तन कार्यक्रम और राष्ट्रीय परामर्श बैठक के अवसर पर कहा कि अश्लील साहित्य सामग्री और घृणास्पद वक्तव्यों को फैलाने वाली वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने की तत्काल आवश्यकता है ।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सरकार उन वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगा सकती है, जो केवल अश्लील सामग्री और घृणास्पद वक्तव्यों को प्रसारित करती हैं। ऑनलाइन माध्यम से किए जाने वाले वाणिज्यिक लेन-देन में वित्तीय धोखाधड़ी और बेईमानी की मात्रा में भी वृद्धि हुई है। उन्होने कहा कि सभी वेबसाइटों पर  प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं होगा। गलत काम करने वालों की जिम्मेदारी तय करने के लिए नेटवर्क सेवा प्रदाताओं, वेबसाइट संचालकों और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं के बीच भेद करना भी महत्वपूर्ण होगा। उन्होने साइबर कानून लागू किए जाने पर भी जोर दिया।

इस अवसर पर  केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि प्रौद्योगिकी के उपयोग के कई गुना बढ़ने के कारण साइबर कानून का प्रवर्तन आवश्यक है।  मोइली ने कहा कि साइबर कानून के कड़ाई से लागू होने से ही सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के उपयोग में सुधार हो सकता है।

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सेक्स रैकेट चलाने वालों के खिलाफ धारा 376 दर्ज क्यों नहीं करते ? - सुप्रीम कोर्ट

Posted on 30 January 2010 by admin

नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने बाल वेश्यावृत्ति की समस्या से निपटने के लिए विशेष जांच एजेंसी गठित करने का सुझाव दिया है। अदालत ने सरकार से पूछा कि सेक्स रैकेट चलाने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत मामला दर्ज क्यों नहीं करते?

स्वयंसेवी संगठन बचपन बचाओ आंदोलन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश दलवीर भंडारी और ए.के पटनायक ने कहा कि देश में घोर गरीबी के कारण ऐसा हो रहा है। व्यापक बेरोजगारी भी एक अन्य कारण है। हमारे सारे सांस्कृतिक मूल्य नष्ट हो रहे हैं। देश बाल वेश्यावृत्ति रैकेट का केंद्र बनता जा रहा है।

शीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा कि अधिकांश सेक्स वर्कर बच्चे हैं। आप सेक्स रैकेट चलाने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत मामला दर्ज क्यों नहीं करते? यदि सरकार ऐसे 10 मामले भी दर्ज कर दें तो ये सेक्स रैकेट ताश के पत्तों की तरह ढेर हो जाएंगे। अदालतें भी उन्हें जमानत नहीं देंगी।

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लाइफ लांग लर्निग विषयक कार्यशाला 8 फ़रवरी से

Posted on 30 January 2010 by admin

लाइफ लांग लर्निग एण्ड एजिंग विद डिजिनिटी विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट, सतना (मध्य प्रदेश) में होगी। यूनिवर्सिटी आफ थर्ड एज (यू थ्री ए) के तत्वावधान में होने वाली कार्यशाला 8 फरवरी से शुरू होकर 10 फरवरी तक चलेगी।

जानकारी देते हुए स्थानीय संयोजक हरिशंकर सिंह ने बताया कि अपने तरह की यह अनोखी कार्यशाला देश में पहली बार हो रही है। उन्होंने बताया कि इसमें विभिन्न क्षेत्रों के तकरीबन 350 विषय विशेषज्ञों के भाग लेने का अनुमान है अब तक 54 देशों के विशेषज्ञों की स्वीकृति मिल चुकी है। इसके अलावा दिल्ली से 75, कर्नाटक से 76, उत्तर प्रदेश से 30, राजस्थान से 25, मध्य प्रदेश से 20, तमिलनाडु और हरियाणा से 5-5 जबकि आंध्र प्रदेश से 10 विषय विशेषज्ञों के आने की भी स्वीकृति मिल चुकी है। स्थानीय संयोजक ने बताया कि कार्यशाला में सम्मलित होने वाले सभी विशेषज्ञों की उम्र 50 वर्ष से अधिक हो चुकी है। इसमें इस उम्र के लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य किया जाएगा।

सिंह ने बताया कि कार्यशाला का समापन गणेश बाग में होगा, इससे गणेश बाग का पर्यटन के क्षेत्र में और महत्व बढ़ेगा, कार्यशाला की तैयारियों को अन्तिम रूपरेखा देने के लिए मुख्यालय स्थित चित्रकूट सेवाश्रम कलेक्ट्रेट रोड  र्वी में 31 जनवरी को बैठक होगी जिसमें कार्यशाला संयोजक पद्म विभूषित नानाजी देशमुख, ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो ज्ञानेन्द्र सिह आदि भाग लेंगे।

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रजिस्ट्रेशन के बिना नहीं चलेंगें क्लीनिक लैब

Posted on 29 January 2010 by admin

नई दिल्ली - स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने और अवैध तरीके से भ्रूण परीक्षण पर अंकुश लगाने की कोशिश के तहत कैबिनेट ने बृहस्पतिवार को  क्लीनिक इस्टेबलिशमेंट रजिस्ट्रेशन एण्ड रेगुलेशन बिल को मंजूरी दे दी। इसके तहत सभी निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं तथा लैबों के लिए रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा । इसके साथ ही कैबिनेट ने राष्ट्रीय तंबाकू नियन्त्रण कार्यक्रम चलाने को मंजूरी दे दी। इस योजना पर मौजूदा पंचवर्षीय योजना अवधि में 182 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूर बिल के अनुसार सभी अस्पतालों और लैबों के साथ ही व्यक्तिगत तौर पर डाक्टरो द्वारा संचालित क्लीनिकों को भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा और उन्हें भारतीय जन स्वास्थ्य मानक का पालन करना होगा। उम्मीद की जा रही है कि इस महत्वपूर्ण विधेयक के जरिए अवैध तरीके से अल्ट्रासाउण्ड करके लिंग निर्धारण करने वाले निजी लैबों पर रोक लग सकेगी। कैबिनेट बैठक के बाद केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मन्त्री अंबिका सोनी ने बताया कि इस कानून का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना है।

सोनी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। यह लंबे समय से विचार की प्रक्रिया में था। इसे लागू करने की ज़िम्मेदारी राज्यों पर होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे मेडिकल प्रैक्टिस में धोखाधड़ी को खत्म करने में मदद मिलेगी। संसद से कानून बनने के बाद शुरुआत में इसे अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम और सभी केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा। इन राज्यों ने आरम्भिक दौर में ही इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति जता दी थी। इस कानून में सभी क्लीनिकों को उनके द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं के आधार पर वर्गीकृत करने और उन्हें श्रेणीबद्ध करने का प्रावधान है।

विधेयक के अनुसार प्रत्येक नर्सिंग होम और क्लीनिकों को जिला स्तर, राज्य स्तर व राष्ट्रीय स्तर पर स्थायी तौर पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए राष्ट्रीय परिषद बनेगी जो इन संस्थानों पर निगरानी रखेगी। परिषद में मेडिकल काउंसिल ऑफ इण्डियाए नर्सिंग काउंसिल ऑफ इण्डिया, फार्मेसी काउंसिल, आयुर्वैदिक यूनानी व सिद्धा का एक-एक प्रतिनिधि, आई.एम.ए. का एक प्रतिनिधि, ब्यूरो ऑफ इण्डियन स्टैण्डर्ड का एक प्रतिनिधि तथा दो प्रतिनिधि क्षेत्रीय काउंसिल के होंगे। परिषद को पंजीकरण रद्द करने तथा अस्पताल और क्लीनिकल संस्थानों पर कार्रवाई करने का अधिकार होगा।

स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को नियन्त्रित करने के लिए अनेक राज्य सरकारों द्वारा कानून लागू करने के बावजूद देश में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की नियामक प्रक्रिया पर्याप्त नहीं है। इसलिए देश में क्लीनिकों द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं और सुविधाओं का एक समान स्टैण्डर्ड सुनिश्चित करने के लिए लंबे समय से एक राष्ट्रीय कानून की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

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छोटे राज्य बनने से समाज में गरीबी बढ़ेगी - बहुगुणा

Posted on 29 January 2010 by admin

हल्द्वानी - पर्यावरणविद सुन्दरलाल बहुगुणा छोटे-छोटे राज्य बनाने के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि है कि जितने राज्य बनेंगे उतने ज्यादा भी खर्चे बढ़ेंगे। खर्चो का बोझ किसी और पर नहीं बल्कि जनता पर ही पड़ेगा, जिससे समाज में गरीबी बढ़ेगी। पत्रकारों से वार्ता के दौरान यह बातें गुरुवार को पाल कालेज में बहुगुणा ने कहीं

पर्यावरणविद ने कहा कि छोटे-छोटे राज्य बनाने के बजाय गांवों को अधिकार दिये जायें। उनमें स्वराज कायम करने के लिए झगड़ा और दारु की दुकानें बन्द की जायें। इससे समाज में स्वत: परिवर्तन होगा। उन्होंने कहा कि पिछली शताब्दी में दो विश्व युद्ध हुए और अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा। पानी के स्त्रोत खत्म होते जा रहे हैं। इसको लेकर सरकार को ठोस कार्ययोजना बनानी चाहिए। बड़े उद्योग-धंधों से प्रदूषण बढ़ने का मुद्दा उठाने के बारे में वह बोले कि व्यवस्था केन्द्रीकृत न होकर विकेन्द्रीकृत होनी चाहिए।

बहुगुणा ने कहा कि इस जमाने का सबसे बड़ा राक्षस प्रदूषण है। शहरों में धूल, धुआं और शोर-शराबे का प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। इसकी वजह से दुनिया में आक्सीजन कम हो रही है, पानी की कमी हो रही है। मिट्टी को रासायनिक खाद इस्तेमाल करके नशीला बना दिया गया है, जो समाज के लिए शुभ संकेत नहीं। बिखरते परिवारों पर चिन्ता जताते हुए बहुगुणा ने कहा कि बड़े परिवार रहने से कई समस्याओं का समाधान खुद हो जाता है। अहंकार लुप्त होने के साथ परिवार की सुरक्षा की चिन्ता नहीं रहती। व्यक्ति में एक-दूसरे की चिन्ता करने की प्रवृत्ति बढ़ती है।

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मंसूरी समाज ने कराया 101 जोड़ों का सामूहिक विवाह

Posted on 28 January 2010 by admin

जावेद मंसूरी के स्वागत में उमड़ा जनसैलाब

लखनऊ  - सामूहिक विवाह कार्यक्रम वक्त की आज सबसे बड़ी जरूरत है,क्योकि एक गरीब मां-बाप के लिए उसके लिए संसाधन जुटाना बहुत मुश्किल है। मुझे खुशी है कि सेठ हाजी नसरूल्लाह मंसूरी इस नेक काम को बाखुबी से अंजाम दे रहे है।

यह बात आज यू0पी0एग्रो के चेयरमैन राज्य मन्त्री जावेद इकबाल मंसूरी ने मंसूरी समाज कोच द्वारा आयोजित 101 गरीब जोड़ों के विवाह के अवसर पर आयोजित एक बड़े समारोह में मंसूरी बिरादरी के लोगो को सम्बोधित करते हुए कही।

मंसूरी समाज के वरिष्ठ नेता जावेद इकबाल मंसूरी को मुस्लिम समाज बसपा के प्रदेशिक सह सहयोजक बनाये जाने के बाद आज पहली बार मंसूरी बिरादरी सामूहिक विवाह कार्यक्रम की अध्यक्षता करने पहुंचे, तो हजारों की तादात में मंसूरी समाज के लोग उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़े, और एक बड़े जुलूस की शक्ल में जब जावेद मंसूरी समारोह स्थल गल्ला मण्डी कोच पहुंचे तो गगन भेदी नारो के साथ उनका स्वागत किया गया।

श्री मंसूरी ने कहा कि 101 जोड़ो का सामूहिक विवाह कराकर मंसूरी जमात के लोगों ने एक मिशाल कायम की है। उन्होने कहा कि वह प्रदेश की मुखिया बहन सुश्री मायावती जी को मंसूरी बिरादरी के इस नेक काम की जानकारी देकर ऐसे नेक काम करने वाले लोगों को सम्मान दिलाने की कोशिश करेंगे। उन्होने कहा बहन मायावती जी ने मुझे मन्त्री बनाकर जो इज्जत बक्शी है, उसका एहसान जिन्दगी भर मंसूरी समाज के लोग नही भूलेगे। उन्होने कहा कि मंसूरी समाज के ज्यादा से ज्यादा लोग बसपा पार्टी से जुड़कर बहन जी के हाथो को मजबूत करे।

मंसूरी बिरादरी इिज्तमायी शादी सम्मेलन के आयोजक हाजी सेठ नसरूल्लाह मंसूरी ने कहा कि इस सामूहिक विवाह में मुस्लिम व हिन्दू सभी जाति के लोग शामिल है। उन्होने कहा कि अगले वर्ष इस सामूहिक विवाह में जोड़ों की संख्या और बढाई जायेंगी।

यू0पी0जमीअतउल मंसूर के महामन्त्री सलीम अहमद मंसूरी ने कहा कि हाजी सेठ नसरूल्लाह द्वारा ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन कर जो नेक काम किया जा रहा है, उसकी जितनी तारीफ की जाये कम है।

इस समारोह में मुख्य अतिथि केन्द्रीय पिछड़ा वर्ग आयेाग के सदस्य व मंसूरी समाज के राष्ट्रीय नेता अब्दुल अली अजीजी मंसूरी को बनाया गया था, लेकिन अचानक उनकी तबीयत खराब होने के कारण वह इस समारोह में नही आ सके  और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राज्य मन्त्री जावेद इकबाल मंसूरी को दोहपर बाद एक बैठक में भाग लेने के लिए अचानक लखनऊ आना पड़ गया, तब आयोजकों ने आल इण्डिया मंसूरी समाज के अध्यक्ष अनीस मंसूरी को मुख्य अतिथि  व कार्यक्रम की अध्यक्षता सल्लू चच्चा मंसूरी से करानी पड़ी। श्री अनीस मंसूरी ने समारोह को सम्बोधित करते हुए मंसूरी समाज को एक जुट करने का आहवान किया।

मंसूरी समाज के इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम में हजारों की तादात में लोग शामिल हुए, जिनमे प्रमुख रूप से मंसूरी बिरादरी के वरिष्ठ नेता हाजी रवीउल्ला मंसूरी, अनीस अहमद मंसूरी, पप्पू मंसूरी, मुख्तार मंसूरी, इकराम मंसूरी, हाजी नबीबक्श मंसूरी, सेठ जलील मंसूरी आदि लोग शामिल थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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निराश्रत बृद्धा सेवा आश्रम का भूमि पूजन

Posted on 28 January 2010 by admin

सुल्तानपुर(उत्तर प्रदेश)- गणतन्त्र दिवस के पावन पर्व पर  बुज़ुर्गो की पूण्य आत्म स्मृति में निराश्रत बृद्धा  सेवा आश्रम का भूमि पूजन व शिलान्यास भा. कि. म. मंच एवं राष्ट्रीय निराश्रत बृद्धा सेवा समिति के तत्वाधान में सोहगौली ग्राम पंचायत क्षेत्रान्तर्गत किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि किसान यूनियन के  पूर्व प्रदेश अध्यक्ष  डा0 बी0 बी0 सिंह रहे।

प्रदेश में प्रथम  राष्ट्रीय बृद्धा सेवा आश्रम की पहल डा0 दिनेश पाठक , भा. कि. म. मंच के अध्यक्ष ने अपने संक्रमणीय भूमि की बेश कीमती जमीन से दस विस्वा भूमि निराश्रत बृद्धा सेवा समिति को दान कर 20 फुट चौड़ाव 15 फुट  लंबा कमरा व एक हाल तथा एक माह का आहार  उपलब्ध कराने का संकल्प लिया  जो फसल काटने के उपरान्त दशहरा के बाद संस्था को समर्पित करेंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे डा0 बी0 बी0 सिंह ने  भारतीय संस्कार के ह्रास का जिक्र करते हुए कहा कि वैभव के इस आधुनिक युग में बृद्धों की स्थित सन्तोष जनक नहीं है। अधिकतर परिवारों मे बृद्ध व भूमि माता का तिरस्कार अनवरत जारी है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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कलाम की प्रेरणा से विद्यार्थियों ने टटोली गांवों की नब्ज़

Posted on 28 January 2010 by admin

ग्रामीण विकास को किताबी चश्मे से देखने वाले आई.आई.एम. इन्दौर के 200 विद्यार्थियों के लिए यह आंखें खोल देने वाला अनुभव है। इन भावी प्रबंधकों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समझने के लिए मध्यप्रदेश के सतना, पन्ना,       गुना, देवास व कटनी समेत बीस जिलों में इस महीने सात दिन बिताए। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने पिछले महीने आई.आई.एम दौरे में संस्थान के विद्यार्थियों से आह्वान किया था कि वे ग्रामीण भारत के विकास में अपनी भूमिका पर भी विचार करें। इससे प्रभावित विद्यार्थियों के बीस जत्थों ने गांवों में बसे भारत की तस्वीर देखी। साथ ही रोजगार व विकास के सरकारी दावों की हकीकत जानने की कोशिश की।

विद्यार्थियों को इस दौरान समझ में आया कि सरकारी योजनाएं अपने स्वभाव में समावेशी हैं लेकिन उन्हें जमीनी धरातल पर लागू नहीं किया जाता है तो उनकी सफलता की बात बेमानी है। देवास जिले के गांवों का जायजा लेने आईआईएम  के छात्र गौरव माथुर कहते हैं,कि सरकारी योजनाओं को लागू करने का काम कागज पर जितना आसान नज़र आता है वास्तविक धरातल पर उतना ही मुश्किल है। ग्रमीणों में यह भाव जगाना भी जरूरी है कि योजनाएं उनके विकास के लिए चलाई जा रही हैं जिनमें वास्तविक भागीदारी उनका हक है। आईआईएम पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम के छात्र सुमन्त वत्स ने पंचायत चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश के कुछ गांवों के रुझान का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में मतदान को लेकर  ग्रामीणो का उत्साह देखते बनता था। यह साफ संकेत है कि वे स्थानीय निकाय के चुनाव को खास तवज्जो देते हैं।

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समान नागरिक संहिता का सपना गुम हो गया

Posted on 27 January 2010 by admin

नई दिल्ली- सबके लिए समान नागरिक संहिता ! सपना नहीं बल्कि इसे विवादों का छत्ता कहिए। संविधान की सभी उम्मीदों में यह शायद सबसे ज्यादा अभिशप्त है।

संविधान का अनुच्छेद 44 के तहत नागरिकों को धार्मिक व सामाजिक बेड़ियों से जिस समान नागरिक संहिता की उम्मीद जगाता है वह राजनीतिक व धार्मिक कारणों से किताब के पन्नों से बाहर नहीं आ सका। इस पर संसद से सुप्रीम कोर्ट तक और जनता से चुनावी सभाओं तक कई बार बहस हो चुकी है।

समान नागरिक संहिता बनाने के जोखिम को संविधान निर्माता भी समझते थे। अंबेडकर ने इसे स्वैच्छिक रखने की सलाह दी थी। 20वीं सदी के पचास व साठ के दशक में हिंदू कोड बिल व हिंदू मैरिज एक्ट के समय भी इस बारे में सवाल उठे थे। लेकिन, इसके विपरीत अदालतें इसके पक्ष में टिप्पणी करती रही हैं। वर्ष 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस दिशा में कदम उठाने को कहा था हालांकि मौजूदा मुख्य न्यायाधीश के.जी.बालाकृष्णन भी इसे बेहद संवेदनशील मामला मानते हैं।

संविधान में भी इसे लेकर विरोधाभास उभरे हैं। उसमें एक तरफ तो विभिन्न धर्मो के मौजूदा निजी कानून बनाए रखने की बात कही गई है, वहीं अनुच्छेद 44 में उसने नीति निदेशक सिद्धांतों में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता का उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘राज्य, भारत के समस्त राज्य क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त करने का प्रयास करेगा।’

देश के सभी वर्गों की उन्नति के लिए देखा गया यह सपना शादी, तलाक, गोद लेने व उत्तराधिकार के विभिन्न धर्मो के विवाद में उलझकर रह गया। जबकि यह इसके तीन प्रमुख उद्देश्यों में सबसे आखिरी थे। समान नागरिक संहिता बराबरी का एक सपना था जो अब राजनीति की अंधी गली में भटक गया है।

समान नागरिक संहिता पर सर्वानुमति बनाने की आवश्यकता है। चूंकि मामला संविधान व कानून का है इसलिए पहल तो सरकार को ही करनी होगी। चर्चा राजनीतिक स्तर पर भी हो और धार्मिक व समाजिक स्तर पर भी। इसमें सभी पंथों की अच्छी बातें भी सामने आएंगी। अपने रीति-रिवाजों के लिए निजी कानून बने रह सकते हैं लेकिन नागरिक कानून, उत्तराधिकार आदि बड़े मामलों के लिए समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।

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