शिमला -भारत के वे सब पहाड़ी राज्य जो वन संरक्षण करने के कारण विकास की सीढि़यां नहीं चढ़ पा रहे, उन्हें केंद्र सरकार जल्द ही ‘ग्रीन बोनस’ देने जा रही है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अहम वनों के बदले कुछ राहत राशि देने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय व योजना आयोग से बातचीत कर ली है। देश में वास्तविक वन संपदा कितनी है, इस पर भी हर राज्य का दोबारा क्षेत्रवार सर्वे हुआ है जिसकी रिपोर्ट जल्द ही नए खुलासे करेगी। केंद्र सरकार ने 4 हजार मीटर से ऊपर उन क्षेत्रों का दोबारा जो आकलन किया है। उनमें पहाड़ी राज्यों के वन क्षेत्र प्रतिशत में काफी बढ़ोतरी होगी। यह इसलिए किया है क्योंकि इस ऊंचाई पर वन संपदा होती ही नहीं है। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने शिमला में पर्यावरण संरक्षण व ग्लेशियरों का संवर्धन विषय पर पहाड़ी राज्यों द्वारा किए गए मंथन के बाद दी।
मंथन के निष्कर्ष व समस्या के समाधान को लेकर एक 12 सूत्रीय शिमला घोषणा पत्र भी जारी किया गया। रमेश ने यह भी घोषणा की कि ग्लेशियरों की वास्तविक स्थिति क्या है, कितने पिघल रहे हैं और इनकी रफ्तार क्या है, इसका आकलन करने के लिए देहरादून में राष्ट्रीय स्तर का संस्थान स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार 4 हजार मीटर से ऊपर के बर्फ से ढके क्षेत्रों को वन भूमि की परिभाषा से पृथक करने पर भी विचार कर रही है, जिससे देश के सभी 12 हिमालयी राज्यों की लगभग 6 करोड़ की जनसंख्या तथा देश का 15 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र लाभान्वित होगा।
रमेश ने कहा अब चुनौती विकास और पर्यावरण में संतुलन बिठाने की है। कौन-कौन से प्रोजेक्ट लगने चाहिए और किस सीमा तक लगें, यह तय करना होगा। उन्होंने ऐलान किया कि जिस नदी में जो पावर प्रोजेक्ट स्थापित किया जाएगा, उसकी पर्यावरण रिपोर्ट संबंधित प्रोजेक्ट एरिया तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उस नदी पर पड़ने वाले प्रभाव का इसमें विस्तृत जिक्र होगा।
उन्होंने कहा कि अब राज्यों में किसी भी तरह के हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को यूं ही अनुमति नहीं मिलेगी बल्कि पर्यावरण खतरों के हर पहलू पर गौर के बाद ही केंद्र हरी झंडी देगा। उन्होंने कहा कि इसी आधार कई प्रोजेक्ट मंजूर नहीं किए गए और गुजरात में कई बंदरगाहों की अनुमति नहीं दी।
उन्होंने कहा कि राज्यों ने अपने स्तर पर पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण बनाया है, जो पर्यावरण मंजूरी देता है, इस पर भी चैक रखने के लिए मंत्रालय में अलग से ‘नेशनल एनवायरनमेंट प्रोटेक्टेशन अथारिटी’ बनाने का निर्णय लिया है।