Posted on 30 April 2009 by admin
आत्मा एवं ब्रह्मके संबंध में अद्वैत सिद्धांत को मजबूत बौद्धिक आधार प्रदान करने वाले आदि शंकराचार्य ने हिंदू धर्म को पुनस्र्थापितकरने में अहम भूमिका निभाते हुए देश भर की यात्रा कर चार मठों की स्थापना की तथा वेदों की प्रतिष्ठा फिर से कायम की थी।आदि शंकराचार्य के समय में बौद्ध एवं जैन धर्म का विशेष प्रभाव हो गया था वहीं हिंदू धर्म कई संप्रदायों में विभाजित हो गया था। एक ओर मीमांसा और सांख्य सिद्धांतों के अनुयायी थे तो दूसरी ओर चार्वाक के अनुयायी भी थे जिन्होंने वेदों को खारिज कर दिया था।
आदि शंकराचार्य ने तमाम संप्रदायों और सिद्धांतों को एक झंडे के नीचे लाने का प्रयास किया और वह काफी हद तक अपने उद्देश्य में कामयाब रहे। उनके प्रयासों से एक ओर हिंदू धर्म मजबूत हुआ वहीं उसकी लोकप्रियता भी बढी। कई विचारकों का मानना है कि वेदांत का जो मौजूदा प्रभाव है, वह उनके प्रयासों का ही फल है। उन्होंने वेदों के अध्ययन की ओर लौटने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों की पैदल यात्रा की थी।
आदि शंकराचार्य के समय बौद्धों का व्यापक प्रभाव था। उस समय बौद्धों का राज था और वैदिक धर्म की स्थिति अच्छी नहीं थी। बौद्धों ने वेदों की निंदा की थी और यह बात आदि शंकराचार्य को पसंद नहीं थी। उन्होंने स्थिति में बदलाव के लिए बौद्धों से शास्त्रार्थ किया और उन्हें पराजित किया।
आदि शंकराचार्य ने वैदिक धर्म की पुर्नस्थापनाके लिए विभिन्न पीठों के अलावा सात अखाडों की भी स्थापना की जो बौद्धों से मुकाबला कर सकें। इन अखाडों में जूना तथा निरंजनीशामिल हैं। आदि शंकराचार्य ने वैदिक धर्म का उद्धार किया और वेदों की प्रतिष्ठा बहाल की। शंकराचार्य सिर्फ 32साल ही इस धरती पर रहे। इस दौरान उन्होंने आत्मा एवं ब्रह्मके संबंध में अद्वैत वेदांत का सिद्धांत दिया।
वेदों में ईश्वर को ब्रह्मकहा गया है। इस अद्वैत के आधार पर कालांतर में कई संप्रदायों की स्थापना हुई। उन्होंने श्रृंगेरीशारदा पीठ के अलावा द्वारका,पुरी और ज्योर्तिमयपीठ की स्थापना की तथा भगवतगीताऔर ब्रह्मसूत्रों पर भाष्य भी लिखा। आठवीं सदी में केरल के कलाडीमें पैदा हुए आदि शंकराचार्य जब बहुत छोटे थे तभी उनके पिता का निधन हो गया। माता की देखरेख में उनका पालन पोषण हुआ। बालपन में ही उन्होंने अपनी कुशाग्र बुद्धि से लोगों का चकित कर दिया था।
सिर्फ आठ साल की उम्र में ही वे वेदों के ज्ञाता हो गए थे। आदि शंकराचार्य बचपन में ही संन्यास के प्रति आकर्षित हो गए लेकिन इसके लिए माता की अनुमति लेने में उन्हें काफी मेहनत करनी पडी। कहा जाता है कि महज 32साल की उम्र में ही शंकराचार्य ने पूरे भारत की यात्रा की और इस यात्रा के दौरान उन्होंने सभी तत्कालीन प्रमुख हिन्दू और बौद्ध विचारकों से शास्त्रार्थ कर न केवल उन्हें पराजित किया बल्कि इस बात के लिए भी संतुष्ट किया कि वेद का अद्वैत सिद्धांत ही ईश्वर को सही ढंग से परिभाषित करने का सबसे उपयुक्त सिद्धांत है।
शंकराचार्य के शास्त्रार्थो में मंडन मिश्र के साथ हुआ शास्त्रार्थ सबसे लोकप्रिय हुआ। इसमें उन्होंने मंडन मिश्र को तो पराजित किया लेकिन जब मंडन मिश्र की पत्नी ने उन्हें शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दी तो शंकराचार्य को इसके लिए कुछ समय मांगना पडा। इसका कारण था कि उन्होंने शंकराचार्य से काम के विषय पर शास्त्रार्थ करने के लिए कहा था जो शंकराचार्य के लिए सर्वथा अपरिचित विषय था।
किवंदन्तियोंके अनुसार शंकराचार्य ने इसके लिए मंडन मिश्र की पत्नी से कुछ समय मांगा। बाद में वह फिर उनके पास गए और उन्हें भी शास्त्रार्थ में पराजित किया। इसके बाद मंडन मिश्र सपत्नीक शंकराचार्य के शिष्य बन गए।
महज 32वर्ष की उम्र में शंकराचार्य ने उन बौद्धिक ऊंचाइयों को छुआ, जिन पर आज भी भारतीय दर्शनशास्त्र गर्व करता है।
Posted on 30 April 2009 by admin
मुंबई- परमाणु ऊर्जा आयोग के चेयरमैन अनिल काकोदकर ने बुधवार को कहा कि समग्र उच्च गुणवत्ता वाली उच्चतर शिक्षा प्रदान करना बहुत जरूरी है तथा यह विज्ञान एवं प्रौघोगिकी में मानव संसाधन के निर्माण के लिए भारत को आगे बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण शक्ति बन गई है। काकोदकर ने यहां नेशनल इनिशियेटिव ऑन अंडरग्राउंड साइंस (एनआईयूएस) फेसिलिटी का उद्घाटन करने के बाद कहा कि विघार्थियों को विज्ञान की तरफ आकर्षित करना और प्रायोगिक अनुसंधान के लिए सही संसाधन व परिवेश बनाना जरूरी है। विज्ञान आंदोलन को महती ऊंचाइयों पर ले जाने के लिहाज से प्रायोगिक अनुसंधान तथा प्रायोगिक योग्यताओं के बीच समग्रता पर जोर देना जरूरी है। एनआईयूएस देशभर से छोटे शहरों के छात्रों सहित कुछ गिने-चुने विघार्थियों को प्रशिक्षण देने का सोचा समझा विचार है। यह साबित हो चुका है कि इसके बहुआयामी प्रभाव हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग ने होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र 2004 द्वारा प्रस्तावित एनआईयूएस के विचार को महत्व दिया।
Posted on 30 April 2009 by admin
लखनऊ- लोकसभा के लिए तीसरे चरण का मतदान बृहस्पतिवार को होना है लेकिन गंगा को आज भी ऐसे भगीरथ की तलाश है जो प्रदूषण से उसे निजात दिला सके। चुनाव के दौरान नेताओं के बीच छींटाकशी के सैलाब में बुनियादी मुद्दे बहते दिखे लेकिन 40 करोड़ से अधिक लोगों की जीवन रेखा गंगा की मुद्दा बनने की हसरत दिल में ही रह गई। जल संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठन एवरीथिंग एबाउट वाटर प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार गंगा नदी में प्रति वर्ष करीब 1.3 अरब लीटर गंदा पानी और 25 करोड़ लीटर कचरा बहा दिया जाता है।
Posted on 30 April 2009 by admin
विश्व स्वास्थ्य संगठन .डब्ल्यू एच आ॓. ने स्वाइन फ्लू के विश्वव्यापी खतरे को भांपते हुए इस महामारी को विश्वव्यापी जागरंकता को पांचवां दर्जा दे दिया है। इसमें छठा दर्जा अंतिम पडाव है।
डब्ल्यू एच आ॓ की महानिदेशक मारग्रेट चान ने कल फ्लू विशेषज्ञों से राय लेने के बाद इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि सभी देशों को इस महामारी से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने दवा बनाने वाली कम्पनियों से भी अधिक से अधिक मात्रा में फ्लू प्रतिरोधक दवाएं बनाने का आग्रह भी किया।
इस महामारी का केन्द्र मेक्सिको की राजधानी मेक्सिको सिटी में अब तक 159 लोगों की जानें जा चुकी हैं। शहर महापौर ने सभी स्कूलों. रेस्तरां आदि को बंद करने के निर्देश जारी कर दिये हैं।
Posted on 30 April 2009 by admin
नई दिल्ली- अर्थव्यवस्था के किसी मोर्चे से अच्छी खबर सुनने को मिली है। हालांकि यह खबर इतनी अच्छी नहीं है कि मान लिया जाए कि अर्थव्यवस्था पर छाए संकट के बादल छंटने लगे हैं।
जनवरी09 में छह प्रमुख ढांचागत उद्योगों में 1.4 फीसदी की वृद्धि हुई थी। उसके बाद से दो महीने तक लगातार इन उद्योगों के प्रदर्शन में सुधार को एक अच्छा संकेत माना जा रहा है। अगर पिछले वित्त वर्ष की बात करें तो कच्चे तेल, रिफाइनरी उत्पाद, कोयला, सीमेंट, बिजली और स्टील में संयुक्त तौर पर 2.7 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह वर्ष 2007-08 में दर्ज 5.9 फीसदी के मुकाबले आधे से भी कम है। दरअसल, ढांचागत उद्योगों ने मार्च09 में 2.9 फीसदी की वृद्धि हासिल की है जो फरवरी09 में दर्ज 2.2 फीसदी से काफी बेहतर है।
हालांकि अक्टूबर08 में दर्ज 1.8 फीसदी की विकास दर के बाद मार्च09 की वृद्धि दर्ज सबसे ज्यादा रही है। यह भी एक उत्साह का कारण है।
उत्साह की एक अन्य बड़ी वजह यह है कि मार्च में सीमेंट क्षेत्र में 10.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इससे साफ पता चलता है कि औद्योगिक मांग में सुधार हो रहा है। बिजली में भी इस महीने 5.9 फीसदी और कोयला उद्योग में 5.2 फीसदी की वृद्धि भी इस बात को बताती है कि कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में स्थिति पटरी पर लौट रही है। कच्चे तेल व स्टील में क्रमश: 2.3 और 2.6 फीसदी की गिरावट हुई है। रिफाइनरी उत्पादों में 3.3 फीसदी की वृद्धि दर भी काफी अच्छी कही जाएगी। इस तरह से मोटे तौर पर देखा जाए तो छह में से चार औद्योगिक क्षेत्रों की स्थिति पहले से सुधरी है।
Posted on 30 April 2009 by admin
मुंबई- लोकप्रिय चरित्र अभिनेत्री किरण खेर कलर्स के नए रियलिटी शो इंडियाज गॉट टैलेंट में जज की भूमिका में दिखाई देंगी। वे लंबे अंतराल के बाद छोटे पर्दे पर नजर आएंगी। इसके पहले किरण खेर जीटीवी का टॉक शो पुरूष क्षेत्र (1994-96), स्टार प्लस का किरण खेर टूडे (1997) और डीडी न्यूज के लिए जागते रहो विद किरण खेर (1999) शो कर चुकी हैं। वर्ष 2000 में वे सोनी के सीरियल कन्यादान में अभिनय करती दिखी थीं।
इंडियाज गॉट टैलेंट अनूठा मनोरंजक रियलिटी शो है। इसमें एक्टिंग, डांसिंग, जादूगरी, कॉमेडी, लोक कला आदि किसी भी कला में माहिर शख्स हिस्सा ले सकते हैं। इस कांसेप्ट पर बना शो विदेशों में काफी लोकप्रिय हुआ है। किरण खेर को शो का कांसेप्ट मजेदार लगा। उन्होंने इस शो में जज की भूमिका के लिए हां कह दिया है। जल्द ही शो का प्रसारण कलर्स चैनल पर होगा।
Posted on 29 April 2009 by admin
ऐसा लगता है कि निर्देशक आशुतोष गोवारीकर का कद दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। अगर इंडस्ट्री में उठ रही चर्चाओं पर यकीन किया जाए तो वह बॉलीवुड इतिहास की सबसे महंगी फिल्म के निर्देशन का जिम्मा संभाल सकते हैं।गौरतलब है कि उद्यमी बीके मोदी पिछले कुछ समय से भगवान बुद्ध पर एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म बनाना चाहते हैं। अपने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की पटकथा के लिए वह दलाई लामा और दीपक चोपड़ा जैसे प्रतिष्ठित नामों से चर्चा भी कर चुके हैं। यही नहीं, उन्होंने एक समय इसके निर्देशन की जिम्मेदारी शेखर कपूर को सौंपने का मन तक बनाया था।ऐसे में एक बार फिर इस प्रोजेक्ट के शुरू होने की चर्चा है और इस बार निर्देशन के लिए आशुतोष गोवारीकर का नाम चल रहा है।
सूत्र के मुताबिक, ‘आशुतोष की बतौर निर्देशक पिछली तीन फिल्में क्रमश: ‘लगान,’ ‘स्वदेस’ और ‘जोधा-अकबर’ को देखने के बाद मोदी आशुतोष से खासे प्रभावित हैं। खासकर यह देखकर कि वह पीरियड ड्रामा को काफी अच्छे से संभाल लेते हैं।
यही वजह है कि वह अब अपनी फिल्म की जिम्मेदारी आशुतोष को ही सौंपना चाहते हैं। अगर यह डील हो जाती है तो आशुतोष के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि बजट, विषय और एक्सपोजर के लिहाज से यह एक बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट होगा। यह बॉलीवुड इतिहास में अब तक की सबसे महंगी फिल्म भी होगी, जिसका बजट 600 करोड़ रुपए तक तो आसानी से पहुंच ही जाएगा।’
यह फिल्म वियतनाम के प्रतिष्ठित बौद्ध अनुयायी थिच नात हेन की किताब ‘ओल्ड पैथ व्हाइट क्लाउड्स’ पर आधारित होगी। इस किताब की लोकप्रियता और विश्वसनीयता का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि अब तक इसका बीस भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
Posted on 29 April 2009 by admin
राजनेताओं की सभाओं में जूते-चप्पल फेंकने की प्रवृत्ति जिस तेजी से जोर पकड़ती जा रही है, उतनी ही कठोर निंदा की अधिकारी है। इराक से शुरू हुआ यह खेल नई दिल्ली होते हुए रविवार को अहमदाबाद तक आते-आते लोकतंत्र के निकृष्ट मखौल में बदल चुका है।
बगदाद में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति पर जूता फेंकने वाले पत्रकार मुंतजर अल जैदी के पास अपने आक्रोश और उसे व्यक्त करने के तरीके को लेकर फिर भी एक तर्क था। दिल्ली में चिदंबरम पर जूता उछालने वाले जरनैल सिंह ने खुद माना था कि एक सही मुद्दे पर क्रोध प्रकट करने का उसका तरीका गलत था, लेकिन उसके बाद से किस्म-किस्म के गैरजिम्मेदार नागरिक या तो बेमकसद या नाजायज मकसदों से राजनीतिक सभाओं में जूते उछाल रहे हैं।
अहमदाबाद में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सभा में जूता फेंकने की कोशिश करने वाले कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के छात्र को कुछ खबरों में यह कहते हुए बताया गया है कि वह इसके जरिये लोकप्रिय होना चाहता था। प्रतिभा और परिश्रम की बदौलत उपलब्धियों व कीर्तिमानों से हासिल लोकप्रियता के बजाय, ऐसे हथकंडों से मिली सस्ती लोकप्रियता की केवल भत्र्सना ही की जा सकती है।
अगर इन घटनाओं के पीछे राजनेताओं की अवमानना की भावना है, तब भी इनकी प्रशंसा नहीं की जा सकती, क्योंकि इनसे सबसे पहले हमारा लोकतंत्र शर्मसार होता है। एक राजनीतिज्ञ के प्रति किसी के मन में इतना ही गुस्सा है तो उसके खिलाफ वह अपने वोट की ताकत का इस्तेमाल करे।
खुद चुनाव लड़े और दूसरों को भी अपनी बात से कायल करे। यह लोकतांत्रिक अधिकार हर भारतीय नागरिक को हमारे संविधान ने दिया है, लेकिन इस लोकतांत्रिक कार्रवाई को जूते उछालने के प्रहसन में बदलकर गरिमाहीन न करें। विडंबना यह है कि राजनेताओं के साथ भारतीय जनता का रिश्ता आजादी और लोकतंत्र के छह दशकों बाद भी अतिशय भावुकता से ओतप्रोत है।
हम या तो अपने राजनेताओं को देवतुल्य मान लेते हैं या फिर उनसे नफरत करते हैं। प्रियंका गांधी को पिछले दिनों रायबरेली की एक सभा में कहना पड़ा कि राजनेता आपके सेवक हैं, उन्हें ईश्वर मत मानिए। यह भी अपवादस्वरूप ही होता है।
अन्यथा हाल के दशकों में स्वयं राजनीतिज्ञों को जनता के लोकतांत्रिक शिक्षण का काम करते आमतौर पर नहीं देखा जाता। ऐसे में अचानक एक आम चुनाव में राजनीतिक सभाओं में जूते-चप्पल उछालने की भेड़चाल शुरू हो जाती है, तो आश्चर्य क्या, लेकिन अब यह सिलसिला रुकना ही चाहिए।
Posted on 29 April 2009 by admin
नई दिल्ली। एचसीएल इंफोसिस्टम्ज ने यहां कई खूबियों वाला लैपटाप लांच किया। एचसीएल लैपटाप जेड-39 ब्रांड नाम से लांच इस लैपटाप में 8जीबी रैम और 500 जीबी स्टोरेज की क्षमता है।
कंपनी के कार्यकारी उपाध्यक्ष जार्ज पाल ने कहा, ‘पिछले तीन दशकों से कंपनी नवीनतम प्रौद्योगिकी के उत्पाद लांच करती रही है और लैपटा जेड-39 कंपनी की इसी रणनीति का एक हिस्सा है।’ उन्होंने बताया कि यह लैपटाप इंटेल सेंट्रिनो-2 प्रौद्योगिकी से लैस है। साथ ही इसकी उन्नत थर्मल इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी इसे भारतीय जलवायु के हिसाब से उपयुक्त बनाती है। कंपनी ने इस लैपटाप की कीमत 59,990 रुपये रखी है।
Posted on 29 April 2009 by admin
नई दिल्ली। निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक को 2008 के लिए एशियन बैंकर अवार्ड दिया गया है।
बैंक के बयान में कहा गया है कि उसे लगातार तीसरे साल बेस्ट रिटेल बैंक का अवार्ड दिया गया है।
एशियन बैंकर पत्रिका के हवाले से इसमें कहा गया है कि एचडीएफसी ने खुदरा संपत्ति बाजार में हिस्सेदारी बढाने के साथ साथ लाभप्रदता भी बनाए रखी है।