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लोहारी नागपाल परियोजना बंद कराने को बाबा रामदेव का धरना

Posted on 10 August 2010 by admin


आज अगस्त क्रांति दिवस के रोज योग गुरु बाबा रामदेव ने सड़कों पर जाम लगाया। शंकराचार्य चौक पर धरना दिया। केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर जहर उगला। रामदेव ने उत्तरकाशी-गंगोत्री के बीच बन रही लोहारी नागपाला जल बिजली परियोजना को तुरंत बंद करने की मांग की। साथ ही गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने की बजाय गंगा को राष्ट्रीय धरोहर व विश्व धरोहर घोषित करने की मांग केंद्र सरकार से की और गंगा की धारा अविरल व निर्मल बहते रहने की मांग की।

सोमवार को बाबा रामदेव ने अगस्त क्रांति की सालगिरह के रोज शंकराचार्य चौक में मजमा लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार खास तौर से प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने संतों के साथ धोखा किया है। वायदा खिलाफी की है। साधु संतों से प्रधानमंत्री ने वायदा किया था कि गंगा की धारा को अविरल बहने दिया जाएगा। परंतु प्रधानमंत्री ने लोहारी नागपाला परियोजना को मंजूरी देकर गंगा की अविरल धारा को बाधित करने का काम किया।

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सिराज केसर
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अवस्थापना सुविधाओ के विकास चुनौतियाँ और संभावनाएँ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

Posted on 24 March 2010 by admin

नई दिल्ली - प्रधानमन्त्री डॉ0 मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अवस्थापना सुविधाओं के विकास, चुनौतियां और सम्भावनाएं विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें देश भर के वित्त/योजना मन्त्रियों ने भाग लिया। प्रधानमन्त्री ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि नौ से दस फीसदी वृद्धि का लक्ष्य पूरा करने के लिए ढांचागत क्षेत्रों, बिजली, सड़क, सिंचाई, दूरसंचार, हवाई एवं जलमार्गो सहित विभिन्न विकास परियोजनाओं में दस खरब डॉलर यानी 41 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी।

वैश्विक आर्थिक मन्दी के प्रभावों से उबरने के बाद सरकार ने बारहवीं योजना में पूरा ध्यान देश के विकास पर केन्द्रित करने की तैयारी कर ली है। बुनियादी ढांचा पर योजना आयोग के राष्ट्रीय सम्मेलन में सिंह ने  कहा कि अगर इन परियोजनाओं पर प्रभावी निवेश होगा तो विकास का पहिया सरपट दौड़ने लगेगा। शुरुआती आकलन में यह बात सामने आई है कि 12वीं योजना में देश में ढांचागत झेत्र की परियोजनाओं में 41 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं वित्त मन्त्रालय और योजना आयोग से आग्रह करता हूं कि वह इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये कार्ययोजना तैयार करे। उन्होंने राज्यों से भी कहा कि वह अपने स्तर पर ढांचागत परियोजनाओं की गहन निगरानी के लिए तन्त्र विकसित करें ताकि 11वीं योजना के बाकी बचे दो साल में बेहतर लक्ष्य हासिल कर सकें। वर्तमान 11वीं पंचवर्षीय योजना मार्च 2012 और बारहवीं योजना 2017 तक चलेगी।

प्रधानमन्त्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में वैश्विक आर्थिक माहौल कठिन रहने की आशंका के चलते देश को उच्च आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर लाना आसान काम नहीं होगा, साथ ही उन्होंने कहा दो अंकों में विकास दर को हासिल करना असंभव नहीं है।  एशिया की कई दूसरी अर्थव्यवस्थाओं में भी इसे हासिल किया गया है।  वर्ष 2008.09 में देश से 200 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वैश्विक आर्थिक संकट के चलते वर्ष के दौरान मात्र 185 अरब डॉलर का ही निर्यात हो सका था।  इसमें ग्रामीण सड़कों से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग, रेल, हवाई और जलमार्ग, सिंचाई, बिजली परियोजनाओंए दूरसंचार और जलापूर्ति परियोजनाएं शामिल हैं।

राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, केंद्रीय सड़क परिवन एवं राजमार्ग मंत्री कमलनाथ, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे और योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने भी हिस्सा लिया।

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अपनी भाषा में करें विज्ञान के अनुसंधानं

Posted on 17 March 2010 by admin

देहरादून - भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के सर सी.वी .रामन व्याख्यान कक्ष में मंगलवार को 28वीं आन्तरिक हिन्दी वैज्ञानिक संगोष्ठी हुई। संगोष्ठी में वक्ताओ ने अपनी भाषा में विज्ञान के अनुसंधान पर जोर दिया। वक्ताओ ने कहा कि विदेशी अनुसंधान को न अपनाकर अपनी मौलिकता का परिचय दे विज्ञान को नई दिशा दें।

28वीं आन्तरिक हिन्दी वैज्ञानिक संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने अपने शोधपत्र भी प्रस्तुत किए।सबसे पहले डा. एच.यू.खान ने कागज और प्लास्टिक से निर्मित बैगज् समस्या एवं समाधानं, डा. अजय कुमार ने विपक्षी एस्टरीकरण: कोटरन प्रौद्योगिकी का प्रयोगं, कमल कुमार ने देश में सड़कों का निर्माणज् संस्थान की भूमिकां, डा. सुमन लता जैन ने मानवर्धित रसायनों के उत्पादन के लिए सीओ2 का उपयोगं विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किए।

इससे पूर्व संगोष्ठी का उद्घाटन संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.अरुणाभ दत्ता ने किया। संचालन संस्थान के वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी डा दिनेश चमोला ने किया। इस दौरान पूजा यादव, प्रताप सिंह चौहान, दीपक कुमार आदि उपस्थित रहे।

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Activists warn against legalisation of prostitution

Posted on 16 December 2009 by admin

New Delhi- The number of sex workers in the country may touch a whopping five million in just a few years, if the world’s oldest profession is legalised as suggested by the Supreme Court, warn activists.

Hearing a PIL by NGO Bachpan Bachao Andolan about largescale child trafficking, the apex court had last week said that if the trade can’t be curbed through punitive measures, legalising it would be a better option to avoid trafficking of women and children.

However, this suggestion has divided activists who work for the welfare of sex workers in the country. Though some welcomed it, many feared that such a move could aggravate the situation.

“By legalising prostitution, you are going to give immunity to the pimps and brothels to buy or sell human beings.

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विकलांगों के लिए नजीर बने बिरजू

Posted on 01 November 2009 by admin

दिल्ली -नजरिया बदलने से नजारे भी बदला करते हैं, उम्मीद रखने से सितारे भी चमका करते हैं। रोने से कब, किसका क्या संवरा है, हिम्मत रखने से बेसहारे भी चला करते हैं। यह पंक्तियां उत्तम नगर के सैनिक नगर निवासी 35 वर्षीय बृजराज सिंह ऊर्फ बिरजू पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं।

जन्म से विकलांग होने के बावजूद इसे कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। दोनों हाथ व पैरों से विकलाग बिरजू सैकड़ों लोगों को रोजगार देने के साथ विकलांगों की सहायता के लिए एनजीओ भी चला रहे हैं। विकलांगता की नाम पर आंसू बहाने वालों व उसी की दुहाई देकर राह चलते लोगों के आगे हाथ पसारने वालों के लिए बिरजू [35] प्रेरणास्त्रोत हैं।

तीन फुट लंबे बिरजू जन्म से ही दोनों हाथ व पैर से 85 प्रतिशत विकलांग हैं। उन्होंने दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर कला संकाय से 1994 में 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद टेंट हाउस का व्यवसाय शुरू किया। माता-पिता ने उन्हें आर्थिक सहयोग दिया। बिरजू कहते हैं कि धीरे-धीरे व्यवसाय बढ़ा और 2000 तक उस व्यवसाय में 80 लोगों को रोजगार दे चुके थे। बाद में इन्होंने कार की खरीद-बिक्री का काम शुरू किया। धीरे-धीरे इनका यह व्यवसाय भी बढ़ता गया और अभी पूरी दिल्ली में इन्होंने 300 लोगों को रोजगार दे रखा है। सुबह आठ बजे से अपनी दिनचर्या में व्यस्त होकर रात दस बजे तक घर लौटने वाले बिरजू कहते हैं कि मन में ठान रखा था कि भविष्य में विकलांगों की हित के लिए काम करेंगे। इस उद्देश्य में तन-मन से 2005 से जुट गए और द फाउंडेशन ऑफ हैंडिकैप डेवलपमेंट नाम से गैरसरकारी संस्था की शुरुआत की। इसमें जानकारी में आने वाले सभी विकलांगों को जोड़कर उसे यथासंभव रोजगार दे रहे हैं। अभी तक इन्होंने 62 विकलांगों को हेलमेट, किताबें व पान-बीड़ी बेचने का रोजगार दिया है।

इनका कहना है कि अभी 1200 विकलांग इनके सर्किल में हैं, जिसे सरकारी सहायता दिलाने में मदद करने से लेकर रोजगार में सहायता देने तक का काम कर रहे हैं। अपनी कुल आय का 50 प्रतिशत से ऊपर विकलांगों की सहायता व कल्याण में लगाने वाले अविवाहित बिरजू कहते हैं भविष्य में स्कूल खोलने की इच्छा है। स्कूल में 25 प्रतिशत विकलांग व 25 प्रतिशत गरीब व अनाथ बच्चों को निशुल्क पढ़ाएंगे।

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children need help in flood-hit Andhra, Karnataka

Posted on 10 October 2009 by admin

Sending out a call for help, international NGO Save the Children estimates that around 750,000 children are in desperate need of clean water, medical care and food in the flood-hit districts of Andhra Pradesh and Karnataka.

If help doesn’t reach fast, there is imminent threat of an outbreak of diarrhoea and other water-borne diseases that will further risk the lives of millions of children and others, the NGO said.

‘Thirteen percent of all under-five children in Andhra Pradesh are already acutely malnourished. The high levels of acute malnutrition in this region mean that children are far more likely to die of diarrhoea and acute respiratory disease - the biggest killers of children in India,’ Thomas Chandy, CEO of Save the Children, said.

Raghu P of ActionAid, another international NGO working for the flood victims in both Andhra Pradesh and Karnataka, added: ‘Our flood rescue teams are overwhelmed. Thousands are still languishing without food and water.’

According to Save the Children, over 275,000 people have been forced to flee their homes, leaving behind everything. Two hundred villages have been completely submerged.

‘Children are most vulnerable in any emergency and the floods come on top of an already dire situation. This is a crisis on top of an emergency,’ Chandy said.

‘Around 350,000 children under five die annually of diarrhoea in India and this time we fear the worst. We need corporate houses, individuals, everyone to come forward to strengthen our efforts on the ground. Any little help that we receive will ensure that one more child will be safe, healthy and protected.

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राज्य महिला आयोग ने भोपाल से बाहर कदम निकाला

Posted on 10 October 2009 by admin

भोपाल(मध्यप्रदेश)- राज्य महिला आयोग ने महिलाओं के खिलाफ बलात्कार और घरेलू हिंसा जैसे अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए अब भोपाल से बाहर निकल कर राज्य के सभी 50 जिलों में अपनी बैंचों के जरिए पूर्व निर्धारित तिथियों पर सुनवाई शुरू की है।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कृष्णकान्ता तोमर ने आज यहां कहा कि इन दोनों जघन्य अपराधों के सिलसिले में शिकायत प्राप्त होते ही त्वरित कार्रवाई के उद्देश्य से आयोग ने भोपाल से बाहर निकलकर सभी 50 जिलों में बैंच ले जाकर पूर्व निर्धारित तिथि पर सुनवाई शुरू की है, जिससे पीड़ित महिला को जल्द से जल्द न्याय दिलाने के प्रयास हो सकें। उन्होंने कहा कि आयोग इससे पहले तक केवल भोपाल में ही शिकायतों की सुनवाई करता था।

आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि बलात्कार, घरेलू हिंसा जैसे मामलों की रोकथाम के लिए जागरूकता, सामाजिक व्यवस्था और लोगों की मानसिकता में बादलाव की आवश्यकता है।

कृष्णकान्ता ने बताया कि आयोग ने वर्ष 2008-09 में कुल 3207 प्राप्त परिवादों में से 3172 का निराकरण कर दिया है। इसी तरह चालू वर्ष 2009-10 के दौरान प्राप्त 1428 परिवादों में से 1394 परिवादों का निराकरण किया जा चुका है।

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10 yrs on, demands of quarry workers’ kids remain unfulfilled

Posted on 06 October 2009 by admin

PUNE- The Pashan Shalas, the schools for children of stone quarry workers established by the NGO Santulan, completed 10 years on Monday. However,
the children’s demands, including measures to tackle malnutrition, free access to primary health care centres near stone quarries and scholarships for migrant children, remain unfulfilled a decade later.

According to Santulan’s annual report for 2009, 2,621 children from six districts were admitted into the primary and secondary sections of the Pashan Shalas this year. On October 5 each year, Santulan conducts a Santulan Pashan Shala Hakka Parishad’ to review the year gone by. This year’s Parishad was held at the Ambedkar Bhavan in the city on Monday.

B M Rege, founder of Santulan and the driving force behind the Pashan Shalas set up across the state, said, “According to the Mines and Minerals Act, 1952, children below 18 years of age cannot work at stone quarries. However, the fact is, minors are employed at such sites, and are deprived of education, health and child rights.”

Santulan has been fighting for the rights of these children since the Pashan Shalas were conceived 10 years ago. The children have been releasing a memorandum of their demands ever since, but the demands have remained unattended so far, Santulan said.

This year, too, a memorandum of the demands of the children, which includes treatment on par with students in state-aided primary schools was handed over to the state government recently.

“Coming from the lowest economic strata, they have demanded school uniforms, books and learning aids. Vocational training centres and admission for children of stone-quarry mishap victims in state orphanages are some of the other demands,” Rege informed.

Ten years ago, 84 students were admitted to three Pashan Shalas in Pune, which has now grown to a network of 82 schools with 15,708 children. Schools now exist in Pune, Ahmednagar, Kolhapur, Satara, Sangli and Nashik districts.

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मीरा नायर की अनोखी चैरिटी

Posted on 05 October 2009 by admin

भारतीय मूल की प्रख्यात फिल्म निर्देशक मीरा नायर के साथ रात्रिभोज कोई सस्ता सौदा नहीं है। लेकिन मीरा ने घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए इसे ही इस्तेमाल करने का फैसला किया है।

पिछले दिनों उन्होंने अपने साथ डिनर के लिए बोली लगाई। सबसे ज्यादा बोली पांच हजार डालर यानी करीब ढाई लाख रुपए लगी। ‘सलाम बांबे’, ‘मानसून वेडिंग’ और ‘द नेमसेक’ जैसी सामाजिक सरोकार वाली फिल्में बना चुकीं मीरा ने यह राशि एक गैर सरकारी संगठन ‘सखी’ के लिए जुटाई है। यह संगठन न्यूयार्क में दक्षिण एशियाई परिवारों के बीच घरेलू हिंसा को लेकर जागरूकता फैलाता है। लंबे समय से इस संगठन से जुड़ीं मीरा पहले भी ऐसा कर चुकी हैं। तब उन्होंने नौ हजार डालर [करीब साढ़े चार लाख रुपए] जुटाए थे। अपनी फिल्मों में विदेशों में बसे अप्रवासी भारतीय परिवारों और यौन शोषण जैसी समस्याओं को केंद्र में रखने वाली मीरा ने कहा, ‘सभी महिलाओं की एक ही समस्या है। वह सब कुछ बन जाना चाहती हैं।’ मीरा ने कहा, ‘मानसून वेडिंग’ में घर के ही किसी सदस्य द्वारा यौन शोषण को केंद्रबिंदु बनाया गया था।’ उन्होंने कहा कि ज्यादातर महिलाएं जो अकेलेपन का सामना करती हैं, उन्हें सखी की जरूरत होती है।

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ग्राम अदालत की अधिसूचना गांधी जयंती पर

Posted on 23 September 2009 by admin

नई दिल्ली- केंद्र सरकार ने देश भर में पांच हजार ग्राम न्यायालय शुरू करने की योजना बनाई है। गांधी जयंती के मौके पर दो अक्टूबर को इस संबंध में अधिसूचना जारी की जाएगी। लंबित पड़े मुकदमों के जल्द निपटारे के लिए विधि मंत्रालय ने यह फैसला लिया है।

विधि मंत्रालय के सचिव टी. वी. विश्वनाथन के अनुसार ये अदालतें पंचायत स्तर पर शुरू की जाएंगी। अधिसूचना जारी होते ही राज्य सरकारें इस दिशा में पहल करेंगी। केंद्रीय विधि मंत्रालय के सचिव ने बताया कि इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लगेगा। इस परियोजना पर होने वाले खर्च की वजह से राज्य सरकारों ने पहले इसमें रुचि नहीं दिखाई थी।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले महीने एक राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान राज्य सरकारों से इस दिशा में तुरंत जरूरी कदम उठाने को कहा था। पूरे देश में 3.11 करोड़ मामले लंबित हैं। इनमें 2.71 करोड़ मामलों को निचली अदालतों में निपटाया जा सकता है। ग्राम न्यायालयों की मदद से इनके निपटारे में तेजी आने और इससे आम लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।

केंद्र सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष के दौरान 200 ग्राम अदालतें शुरू करने की योजना बनाई है। तीन साल के दौरान इनकी संख्या पांच हजार करने की है। ग्राम न्यायालय अधिनियम 2008 के तहत प्रथम श्रेणी के न्यायाधीश को ऐसे मामलों की सुनवाई करनी है। इन न्यायाधीशों को न्याय अधिकारी कहा जाएगा। इनके पद एवं वेतन में किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

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