Archive | साहित्य

कवि कैलाष मड़बैया को तीन राष्ट्ीय पुरस्कार

Posted on 17 February 2013 by admin

kailashkailash1ख्यात कवि और लगभग दो दर्जन ग्रंथों के रचयिता साहित्यकार श्री कैलाष मड़बैया को लगातार उत्तर ,मध्य और दक्षिण भारत के तीन राष्ट्ीय सम्मानों से अजग अलग नवाजा गया है। उत्सव गणतंत्र में श्री मड़बैया को उनके राष्ट्ीय साहित्यिक अवदान के लिये गएातंत्र दिवस पर पद्यश्री रमेषषाह आदि ने देष के11साहित्यकारों  के साथ भोपाल में ‘अभिनव षब्द षिल्पी’ से अलंकृत किया गया। वहीं वर्ष 2013 का प्रतिष्ठित राजा संतोषसिंह सम्मान उत्तर के छतरपुर में जिला कलैक्टर एवं नगर निगम अध्यक्ष ने नववर्ष लोक भाषा बंुदेली अलंकरण अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में भारी जन समूह में श्री मड़बैया जी को मानदेयराषि और अभिनंदन पत्र आदि भेट किये गये। उधर दक्षिण भारत में श्री कैलाष मड़बैया को वर्षान्त पर कर्नाटक के धवला तीर्थ में राष्ट्ीय प्राकृत षोध संस्थान में काव्य वचनम के साथ गोम्मट सम्मान में वस्त्रांग आदि अलंकरण प्रख्यात कन्नड़ विद्वान/ भट्टारकों के आचार्य पं0 पाॅंषुपाल पंडित श्री प्रभाकराचार्य जी द्वारा भेट किये गये। हमारी ओर से भी कवि कैलाष मड़बैया भोपाल को अनत बधाइयाॅं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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अंग्रेज विद्वान वैदिक ज्ञान को कमतर बताकर भारतीय संस्कृति नष्ट करना चाहते थे

Posted on 02 September 2012 by admin

हजारों वर्ष प्राचीन वैदिक काल के समाज, ज्ञान-विज्ञान और दर्शन पर पत्रकार विधान परिषद सदस्य हृदयनारायण दीक्षित की किताब ‘मधुविद्या’का विमोचन उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में पूर्व केन्द्रीय मंत्री, संसद की लोकलेखा समिति के सभापति डाॅ0 मुरली मनोहर जोशी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उ0प्र0 विधानसभा के अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने की।
madhuvidya-7डाॅ0 जोशी ने कहा कि अंग्रेज विद्वान वैदिक ज्ञान को कमतर बताकर भारतीय संस्कृति नष्ट करना चाहते थे। मैक्समूलर ने अपनी पत्नी को लिखे पत्र में भारतीय संस्कृति और दर्शन को नष्ट करने की बात कही थी। लेकिन दयानंद, सायण, सातवलेकर आदि विद्वानों ने ऋग्वेद और वैदिक साहित्य के भाष्य किये। वेदों में विश्व को मधुमय बनाने की स्तुतियां हैं। श्री दीक्षित ने सरल, सुबोध भाषा में वेदों की मधुविद्या को पुस्तक रूप में तैयार किया है। उन्होंने दीक्षित की किताब ‘मधुविद्या’ को पढ़े जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्राचीन ज्ञान विज्ञान के सनातन प्रवाह के कारण ही भारत की प्रतिष्ठा है।
अध्यक्षीय भाषण में विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि श्री दीक्षित पहले लड़ाकू विधायक थे। तमाम विषय उठाते थे। अब भारतीय संस्कृति व ज्ञान विज्ञान पर निरंतर लिख रहे हैं। ‘मधुविद्या’ के वैदिक ज्ञान को उन्होंने व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत किया है। उम्मीद है कि यह पुस्तक खूब लोकप्रिय होगी और वे इसी प्रकार लगातार लिखते रहेंगे।
मुख्य वक्ता वेद विद्वान लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय ने ऋग्वेद से लेकर उपनिषद् काल तक विस्तृत समाज को मधुमय प्रीतिमय बनाने का इतिहास बताया और कहा कि वैदिक मधुज्ञान, मधुगान को सरल शब्दों में लिख श्री दीक्षित ने बड़ा काम किया है।
लेखक हृदयनारायण दीक्षित ने बताया कि वैदिक समाज मधुप्रेमी था। मधुप्रिय था। मधुवाणी बोलता था। भारत मधुमय था। लेकिन आधुनिक समाज मधुहीन सुगर फ्री हो रहा है। समाज में प्रीति प्रेम और मधुमय एकात्मकता नहीं है। वैदिक ऋषि विश्व को मधुमय बनाने की हजारों गतिविधियां बता गए हैं। इसी का नाम मधुविद्या है और यह नाम ऋग्वेद में आया है। पुस्तक में दैनिक जीवन से जुड़े, विवाह, काम-सेक्स, राजनीति, पर्यावरण, समाज संगठन आदि विषयों पर 36 निबंध हैं। पुस्तक का उद्देश्य समाज को रागद्वैषविहीन मधुमय बनाना है।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रधर्म प्रकाशन के प्रबंधक पवन पुत्र बादल ने किया। प्रकाशन वी0एल0 मीडिया सोल्यूशन्स नई दिल्ली के प्रोपराइटर नित्यानंद ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर सदस्य विधान परिषद डाॅ0 महेन्द्र सिंह, रामू द्विवेदी, पूर्व सांसद सत्यदेव सिंह, भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन राकेश जैन, दयाशंकर सिंह, विजय पाठक, राजेन्द्र तिवारी, दिलीप श्रीवास्तव, मनीष दीक्षित, बार काउंसिल आॅफ यू0पी0 के सदस्य अखिलेश अवस्थी एडवोकेट, समाजसेवी जयपाल सिंह, रामप्रताप सिंह एडवोकेट, रामप्रताप सिंह चैहान एडवोकेट, प्रेमशंकर बाजपेयी एडवोकेट, अतुलेश सिंह एडवोकेट, प्रेमशंकर त्रिवेदी एडवोकेट, डाॅ0 उदयवीर सिंह एडवोकेट, सौरभ लवानिया एडवोकेट, संदीप दुबे आदि मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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गीता के सभी श्लोकांे की सुसंगत व्याख्या

Posted on 23 August 2012 by admin

5प्रख्यात चिंतक, विचारक, साहित्यकार हृदयनारायण दीक्षित द्वारा लिखित एवं लोकहित प्रकाशन, लखनऊ द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘भगवद्गीता’ (गीता के सभी श्लोकांे की सुसंगत व्याख्या) का विमोचन आज उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के प्रेमचन्द्र सभागार में मध्य प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा एवं जनसम्पर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा द्वारा किया गया। विमोचन समारोह में बोलते हुए लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि श्री दीक्षित ने गीता के सभी श्लोकों की सरल एवं आधुनिक व्याख्या की है। उन्होंने इस पुस्तक में प्रत्येक श्लोक को ऋग्वेद काल से लेकर उत्तर वैदिक काल तक होते हुए आधुनिक संदर्भो तक समझाने का काम किया है। पुस्तक बहुत अच्छी है। मध्य प्रदेश में भी यह पुस्तक आम जन तक पहुंचे इसका म0प्र0 सरकार प्रयास करेगी।
श्री शर्मा ने कहा कि विगत वर्ष मध्य प्रदेश सरकार ने श्री दीक्षित को उत्कृष्ट लेखन के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया था। श्री दीक्षित सुप्रतिष्ठित स्तम्भकार हैं। वे भारतीय दृष्टिकोण वाले प्रख्यात आलोचक लेखक हैं। उन्होंने कई विवेचनशील ग्रन्थ लिखे हैं। श्री दीक्षित ने गीता के सभी श्लोकों का क्रमबद्ध विवेचन किया है। युवाओं के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि हिन्दी के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का विशेष योगदान रहा है लेकिन मध्य प्रदेश भी पीछे नहीं है। मध्य प्रदेश सरकार विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन करने वाली है।
समारोह के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय साहित्य परिषद राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने कहा कि गीता कत्र्तव्य, नीति अनीति का बोध कराने वाला व्यवहारिक ग्रन्थ है। हजारों वर्ष प्राचीन ज्ञान की यह अमृतधारा आधुनिक मानव के लिए बहुत उपयोगी है। गीता के पूर्व भाष्यों, अनुवादों के दृष्टिकोण को श्री दीक्षित ने इस पुस्तक में उद्धृत किया है। इस पुस्तक में भारतीय संस्कृति, दर्शन और वैज्ञानिक विवेक की धारा है।
लेखक हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि भगवद्गीता अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान ग्रंथ है। मूल गीता प्रवाहमान ललित संस्कृत काव्य और गीत है। उन्हांेंने कहा कि गीता के अधिकांश अनुवादकों और भाष्यकारों ने ऐतिहासिक परिश्रम किये हैं। गीता लोकप्रिय ग्रन्थ है। यह पुस्तक गीता को समझने का एक विनम्र प्रयास है। यहां कोई मौलिकता भी नहीं है। इसमें ऋग्वेद से लेकर आधुनिक काल को एक अखण्ड सांस्कृतिक इकाई के रूप में देखा गया है। यहां गीता को आधुनिक संदर्भ में समझने का प्रयास किया गया है।
कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री रविन्द्र शुक्ल, डाॅ0 राम नरेश यादव, आनंद मोहन चैधरी ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 ओम प्रकाश पाण्डेय ने एवं कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रधर्म प्रकाशन के प्रबंधक पवन पुत्र बादल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से सदस्य विधान परिषद विनोद पाण्डेय, प्रतिष्ठित अधिवक्ता जयकृष्ण सिन्हा, वरिष्ठ समाजसेवी जयपाल सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष दयाशंकर सिंह, भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन राकेश जैन, प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक, मीडिया प्रभारी नरेन्द्र सिंह राणा, हरीश श्रीवास्तव, सहमीडिया प्रभारी दिलीप श्रीवास्तव, मनीष दीक्षित, मुख्यालय प्रभारी भारत दीक्षित, सहमुख्यालय प्रभारी चै0 लक्ष्मण सिंह, भाजपा नेता वीरेन्द्र तिवारी, दिनेश दुबे, गिरजा शंकर गुप्ता, रामप्रताप सिंह एडवोकेट, गोपाल कृष्ण पाठक एडवोकेट, राजेश वर्मा एडवोकेट, आर0सी0 सिंह, प्रशांत सिंह, प्रेम शंकर त्रिवेदी, सुनील मोहन, संदीप दुबे सहित भारी संख्या में समाजसेवी, अधिवक्ता, चिकित्सकगण उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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डा. कपिल को मिला शिक्षा रत्न पुरस्कार

Posted on 11 March 2010 by admin

चित्रकूट - प्रोफेसर डा. कपिल देव मिश्रा को शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान प्रदान करने के लिए इण्डिया इंटरनेशनल फे्रण्डशिप सोसायटी नई दिल्ली ने शिक्षा रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। उनकी इस उपलब्धि पर विवि परिवार ने बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

जगद्गुरु राम भद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान विभाग के अधिष्ठाता डा. मिश्रा इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व के प्रोफेसर पद पर कार्य कर रहे हैं। अपनी शिक्षा की प्रथम पायदान हाई स्कूल से अन्तिम सीढ़ी तक उन्होंने सभी परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यलाय से पी.एच.डी की उपाधि हासिल की। प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व के क्षेत्रा में विशेष योगदान पर इन्हें डीलिट की मानद उपाधि भी मिल चुकी है। शिक्षण कार्य करते हुए डा. मिश्रा ने कई राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगोिष्ठयों में अपने शोध पत्रा भी प्रस्तुत किए है। इसके अलावा इनकी कई पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। डा. मिश्रा महात्मा गांधी चित्राकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कई महत्वपूर्ण पदों पर भी काम कर चुके हैं। डा. मिश्रा जेआरएच विवि में प्रतिकुलपति, परीक्षा नियन्त्रक, अधिष्ठाता, कुलानुशासक आदि पदों की भी शोभा बढ़ा चुके हैं। इनकी की कार्यकुशलता व अनुभवशीलता देखते हुए भोज विश्वविद्यालय भोपाल ने निदेशक-प्रवेश एवं मूल्यांकन नियुक्त किया। साथ ही निदेशक-मुद्रण एवं वितरण आदि का भी दायित्व सौंपा है। उनकी इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय परिवार सहित उनके परिचितों और पारिवारिकों ने बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

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उत्तराखंड में हिन्दू संस्कृति अध्ययन केन्द्र खुलेगा

Posted on 28 December 2009 by admin

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि राज्य में हिन्दू संस्कति के अध्ययन के लिए केन्द्र खोला जायेगा। निशंक रविवार को नेपाली संस्कृति परिषद् की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय नेपाली संस्कृति सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि अध्ययन केन्द्र के स्वरूप की रूप रेखा तैयार की जा रही हैं।

निशंक ने कहा कि विश्व में प्राचीनतम माने जाने वाली हिन्दू संस्कृति के उद्भव और विकास के बारे में इस केन्द्र में अध्ययन किया जायेगा। इस केन्द्र में विश्व की सभी भाषाओं और धर्मावलम्बियों को हिन्दू संस्कृति का अध्ययन करने की छूट दी जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा देने के बाद अब उसे आम जनों की बोलचाल की भाषा बनाने के लिए काम किया जायेगा।

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हिंदी में काम के लिए पुरस्कार

Posted on 14 September 2009 by admin

वर्ष 1986-87  में इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार योजना आरंभ की गई थी। इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ष विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, बैंकों,वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों व शहर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को राजभाषा नीति के अनुपालन में उपलब्धियों के लिए पुरस्कार दिए जाते हैं। साथ ही केंद सरकार, बैंक, वित्तीय संस्थानों, विश्वविद्यालयों, प्रशिक्षण संस्थानों और केंद्रीय सरकार के स्वायत्त निकायों को हिंदी में मूल पुस्तकें लिखने वाले कार्यरत या सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नकद पुरस्कार दिए जाते हैं।

आधुनिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी व समकालीन विषयों के ज्ञान-विज्ञान पर मूल पुस्तक लेखन के लिए ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय पुरस्कार योजना’ भी चलाई जाती है। यह योजना सभी भारतीय नागरिकों के लिए खुली है।

क्षेत्रीय स्तर पर क्षेत्रीय राजभाषा पुरस्कार चलाए जाते हैं। ये पुरस्कार राजभाषा नीति के कार्यान्वयन और हिंदी के प्रयोग को आगे बढ़ाने में उपलब्धियों के लिए दिए जाते हैं। इसके लिए क्षेत्रीय/अधीनस्थ कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, शहर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों, बैंक व केंद्र सरकार के वित्तीय संस्थानों को पुरस्कार दिए जाते हैं।

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शास्त्री जी की घड़ी स्मारक भवन से चोरी

Posted on 09 September 2009 by admin

नई दिल्ली- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित स्मारक में रखी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सोने से निर्मित घड़ी चोरी हो गई है। शास्त्री जी को यह घड़ी उनके रूसी समकक्ष एलेक्सी कोसिजिन ने ताशकंद समझौते के दौरान भेंट भेंटस्वरूप दी थी।

पुलिस सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी के आवास के बगल में स्थित लाल बहादुर शास्त्री स्मारक में रखी शास्त्री जी की घड़ी की चोरी का मामला तीन सितंबर को प्रकाश में आया और पुलिस का इसके बारे में चार दिन बाद सात सितंबर को सूचित किया गया।

स्मारक के निदेशक प्रो. ए के दास ने सोमवार को पुलिस से संपर्क करते हुए 1966 में ताशकंद सम्मेलन के दौरान शास्त्रीजी को तत्कालीन रूसी प्रधानमंत्री कोसिजिन की ओर से भेंट की गई घड़ी के चोरी होने के बारे सूचित किया। दास ने पुलिस से कहा कि स्मारक के कर्मचारियों ने आंतरिक रूप से मामले की जांच की थी लेकिन उन्हें घड़ी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। इसलिए इस मामले में एफआईआर दर्ज कराया गया है। इस मामले में दास टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे। शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस ने परिसर की तलाशी ली और इमारत से फिंगर प्रिंट जुटाए।

लाल बहादुर शास्त्री स्मारक उसी स्थान पर स्थित है जहां शास्त्री जी रहा करते थे। शास्त्रीजी की पत्नी के निधन के बाद इस स्थान को स्मारक बना दिया गया जहां पूर्व प्रधानमंत्री के सभी लेख और उनसे जुड़ी अन्य वस्तुएं रखी हुई हैं। स्मारक में दुर्लभ फोटोग्राफ,घड़ी और एक ओवरकोट रखा हुआ था जिसे लाल बहादुर शास्त्री ने ताशकंद सम्मेलन के दौरान रूस में पहना था।

पूर्व प्रधानमंत्री के पुत्र अनिल शास्त्री ने कहा कि घड़ी की चोरी का शक एक अज्ञात दम्पति और एक अन्य व्यक्ति पर है जिसने तीन सितंबर को स्मारक में काफी समय बिताया था। उन्होंने कहा ‘रूस से लौटने पर मेरे पिता ने मुझे बुलाया और पूछा कि क्या मैं सोने की घड़ी पहनना पसंद करूंगा। वह सादा जीवन जीने वाले व्यक्ति थे और उन्होंने मुझसे कहा कि वह घड़ी नहीं पहनेंगे। मैंने उस घड़ी को 40 वर्षो तक पहना और जब 2005 में स्मारक का उद्घाटन हुआ तो मैंने घड़ीं दान कर दिया।

अनिल शास्त्री ने कहा कि वह नहीं समझते कि एक ऐसे इमानदार व्यक्ति के घर में ऐसी चोरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि स्मारक के कर्मचारियों ने दुर्लभ वस्तुओं के प्रदर्शन के लिए ताले उपलब्ध कराने के बारे में सीपीडब्ल्यूडी को लिखा है।

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पुस्तक प्रेमियों की भीड़ उमड़ रही है मेले में

Posted on 04 September 2009 by admin

नई दिल्ली- किताबें नहीं बिकने की प्रकाशकों की आम शिकायत के बीच दिल्ली पुस्तक मेले में धार्मिक संगठनों के स्टालों पर उमड़ने वाली पुस्तक प्रेमियों की भीड़ से यह बात स्पष्ट है कि पुस्तकों की मार्केटिंग के मामले में वे भी किसी से पीछे नहीं हैं।

प्रगति मैदान में चल रहे पुस्तक मेले में रामकृष्ण मिशन, गीता प्रेस, कृष्णमूर्ति फाउंडेशन, श्री अरविन्द चेतना समाज, इस्कान जैसे धार्मिक संगठनों ने अपने स्टाल लगाए हैं। दिलचस्प है कि इन स्टालों पर न केवल पुस्तक प्रेमियों की भीड़ उमड़ रही है, बल्कि इनकी पुस्तकों की भी अच्छी बिक्री हो रही है।

एक निजी कंपनी के सेल्स विभाग में काम करने वाले पुस्तक प्रेमी रवीन्द्र नेगी ने बताया कि उन्हें इन धार्मिक संगठनों के स्टालों पर जाकर एक अच्छी बात यह महसूस होती है वहां के कर्मचारी या सदस्य आपके साथ बेहद शालीनता से व्यवहार करते हैं। वे आपकी रूची पूछते हैं और उसके अनुरूप आपकों पुस्तकों के बारे में सुझाव देते हैं। इसके विपरीत आम प्रकाशक पुस्तक प्रेमियों के साथ आम ग्राहक की तरह रूखा व्यवहार करते हैं।

रामकृष्ण मिशन से जुड़े स्वामी आत्मपुरूषानंद ने बताया कि मेले में आम पुस्तक प्रेमी स्वामी विवेकानंद की पुस्तकों के बारे में जबरदस्त रूचि दिखा रहे हैं। इसके अलावा युवा पीढ़ी ध्यान, योग और बेहतर जीवन शैली से जुड़ी पुस्तकों में काफी रूचि ले रहे हैं। स्वामी आत्मपुरूषानंद ने बताया कि आज तनावपूर्ण और प्रतियोगिता भरे जीवन में युवाओं को ऐसे साहित्य की जरूरत जो उन्हें मानसिक और आध्यात्मिक रूप से शांति दिला सके। उन्होंने कहा कि मिशन की पुस्तकें खरीदने वालों में युवा पाठक सबसे आगे हैं।

श्री अरविन्द चेतना समाज के डा. ज्ञानचन्द ने बताया कि पुस्तक मेले में लोग अरविन्द साहित्य में रूचि दिखा रहे हैं। पुस्तक प्रेमी स्टाल पर आकर न केवल पुस्तकें देखते हैं, बल्कि पुस्तक और श्री अरविन्द के बारे में जानना चाहते हैं।

डा. ज्ञानचंद ने कहा कि हम हर पुस्तक प्रेमी को संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं और किसी से भी पुस्तक खरीदने का आग्रह नहीं करते।

कृष्णमूति फाउंडेशन इंडिया की एस मंझवानी ने बताया कि आज के पढ़े लिखे युवा वर्ग को अध्यात्म के नाम पर ऐसे साहित्य की जरूरत है, जो उनकी समस्याओं का हल दे सके। इसीलिए युवा लोग कृष्णमूर्ति के साहित्य की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

मेले में गीता प्रेस जैसे भारी भरकम स्टाल भी हैं, जहां धार्मिक पुस्तकों के प्रेमियों की खासी तादाद देखी जा सकती है।

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टैगोर के नोबेल पदक चोरी की जांच बंद

Posted on 23 August 2009 by admin

शांति निकेतन-रवींद्र नाथ टैगोर के नोबेल पदक और 47 अन्य स्मृति चिन्हों के शांति निकेतन स्थित रवींद्र भवन से चोरी होने के मामले की जांच सीबीआई  ने बंद कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि कोलकाता स्थित सीबीआई विशेष शाखा के एसपी ने 20 अगस्त को विश्व भारती यूनिवसिर्टी अधिकारियों को लिखे लेटर में कहा है कि किसी महत्वपूर्ण सुराग के अभाव में जांच को बंद किया जा रहा है।

टैगोर के नोबेल पदक चोरी की जांच प्रकरण पर खेद जताते हुए तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो व रेल मंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह इस मामले में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से बात करेंगी। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रजत कांतो रे के अनुसार हम सीबीआई की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं और छात्र भी बेहद खफा हैं।

यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार मणिमुकुट मित्रा ने बताया कि 21 अगस्त को प्राप्त हुए लेटर में यह स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि सीबीआई ने जांच बंद कर दी है। मित्रा ने बताया कि देश में सीबीआई सबसे अधिक सक्षम और भरोसेमंद जांच एजेंसी है। हम इससे अच्छी किसी एजेंसी के बारे में नहीं जानते हैं, लेकिन हमें अभी भी इन अमूल्य निधियों को वापस पाने की उम्मीद है।

रवींद्र नाथ टैगोर(गुरुदेव) को 1913 में नोबेल पदक मिला था। उनके पदक, सर्टिफिकेट, उनकी पत्नी के कीमती जेवरात और कई अन्य स्मृति चिन्हों की चोरी होने की बात 25 मार्च, 2004 को सामने आई थी और सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की थी। लेकिन 3 सालों की जांच के बाद 30 अगस्त, 2007 को सीबीआई ने जांच बंद कर दी क्योंकि कोई महत्वपूर्ण सुराग हाथ नहीं लग पाया। 18 सितंबर, 2008 को फिर से जांच शुरू की गई।

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खबर लहरिया ने यूनेस्को में परचम लहराया

Posted on 04 August 2009 by admin

आर्थिक रूप से बदहाल बुंदेलखंड के अखबार ‘खबर लहरिया’ को यूनेस्को ने साक्षरता सम्मान के लिए चुना है। इस अखबार को इलाके की बेहद गरीब, आदिवासी और कम-पढ़ी लिखी महिलाओं की मदद से निकाला जा रहा है।

खबर लहरिया सहित चार पाक्षिक समाचार पत्रों को आठ सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर पेरिस में वर्ष 2009 के किंग सिजोंग साक्षरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इसके तहत प्रत्येक पुरस्कार विजेता को 20,000 डॉलर की राशि दी जाती है। दक्षिण कोरिया ने यूनेस्को में किंग सिजोंग साक्षरता पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1989 में की थी।

इस खबर ने महिलाओं को उत्साह से भर दिया है। एक मुलाकात में अखबार की संपादक मीरा ने कहा कि यह अखबार बुंदेलखंड की आदिवासी कोल महिलाओं में शिक्षा की भूख जगाने में मदद कर रहा है।

संपादन और समाचार का पूरा काम महिलाएं करती हैं। अखबार बांटने के काम में पुरुष हॉकर मदद करते हैं। ग्रामीण महिलाओं के इस अखबार में काम करने के लिए कम से कम आठवीं कक्षा पास होना जरूरी है, लेकिन नवसाक्षर भी जुड़ सकते हैं।

उन्होंने कहा कि अखबार में सभी तरह की खबरें होती हैं लेकिन पंचायत, महिला सशक्तीकरण, ग्रामीण विकास की खबरों को ज्यादा महत्व दिया जाता है। समाचार स्थानीय बुंदेली बोली में और बड़े अक्षरों में छापे जाते हैं ताकि नवसाक्षर महिलाएं आसानी से पढ़ सकें। राजनीतिशास्त्र से मास्टर डिग्री ले चुकीं मीरा ने कहा कि संवाददाता के रूप में गांव की गरीब महिलाओं के जुड़ने का उनके परिवार व समाज के लोग ही विरोध करते हैं। लेकिन अब यह कम हो गया है।

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