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विकलांगता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों/ स्वैच्छिक संगठनों को पुरस्कृत करने हेतु आवेदन पत्र आमंत्रित

Posted on 08 August 2012 by admin

‘विश्व विकलांगता दिवस’ के अवसर पर भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार योजना के तहत विकलांगता के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों/स्वैच्छिक संगठनों से आवेदन पत्र आमंत्रित किये गये हैं।
निदेशक, विकलांग कल्याण श्री हरि लाल पासी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस संबंध में समस्त जिलाधिकारियों को परिपत्र जारी कर दिया गया है। उन्होंने बताया इन पुरस्कारों के लिये पूर्व प्रेषित निर्धारित प्रारूप अथवा भारत सरकार की वेबसाइट www.socialjustic.nic.in पर उपलब्ध आवेदन प्रारूप पर आवेदन पत्र आमंत्रित किये जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि अन्तर्राष्ट्रीय विश्व विकलांगता दिवस प्रतिवर्ष 3 दिसम्बर को मनाया जाता है। इस वर्ष भी 3 दिसम्बर को अन्तर्राष्ट्रीय विश्व विकलांगता दिवस के अवसर पर इस क्षेत्र मंे उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों/विकलांगता के क्षेत्र में कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों, सेवायोजकों को भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा पुरस्कार दिया जायेगा। जिन क्षेत्रों में पुरस्कार दिये जायेंगे वे हैं स्वतः रोजगाररत दक्ष विकलांग व्यक्ति/कर्मचारी, उत्कृष्ट विकलांग कर्मचारी, उत्कृष्ट सेवायोजक एवं प्लेसमेन्ट अधिकारी, व्यक्ति विशेष, उत्कृष्ट संस्था, उत्कृष्ट रोल माडल, विकलांगों के लिए बाधारहित वातावरण का निर्माण, विकलांगजन के पुनर्वासन के क्षेत्र में कार्य, उत्कृष्ट जनपद, उत्कृष्ट लोकल लेवल कमेटी, उत्कृष्ट चैनेलाइजिंग एजेंसी, असाधारण सृजनात्मक कार्य, उत्कृष्ट ब्रेलप्रेस तथा उत्कृष्ट एससेबल वेबसाइट।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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15 मई - अन्तर्राष्ट्रीय परिवार दिवस पर विशेष टूटते सयुँक्त परिवार, राह भटकते बच्चे! जिम्मेदार कौन? - हरि ओम शर्मा

Posted on 10 May 2012 by admin

संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, बच्चे राह भटक रहे हैं, इतने पर भी माता-पिता की आँखे नहीं खुल रही है। नादान बच्चे संस्कारों के अभाव में राह भटक रहे हैं। आखिर कौन देंगे इनको संस्कार? कौन दिखायेगा इनको रास्ता? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? ‘दादा-दादी’, ‘माता-पिता’ या स्वयं बच्चे? आज यह एक ऐसा अहम मुद्दा है कि इस विषय पर चर्चा-परिचर्चा होनी अतिआवश्यक है। किन्तु दुख की बात यह है कि इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है और न ही इस विषय को कोई गम्भीरता से ले रहा है। क्या वास्तव में संयुक्त परिवारों की उपयोगिता समाप्त हो गई है? क्या वास्तव में माता-पिता को राह भटकते बच्चे दिखाई नहीं दे रहे हैं? क्या वास्तव में दादा-दादी, नाना-नानी, नाती-नातियों व पोते-पोतियों के साथ रहना पसन्द नहीं करते हैं? यदि ऐसा नही है तो फिर संयुक्त परिवार क्यों टूट रहे हैं? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? ‘दादा-दादी’, ‘माता-पिता’ या स्वयं बच्चे? क्योंकि बच्चे तो बेचारे असहाय हैं, अज्ञानी हैं, अबोध हैं, जब कोई सही राह नहीं दिखाई देगी तो यह नादान बच्चे तो राह भटक ही जायेंगे। इसमें इन बेचारों का क्या दोष है। पानी के अभाव में पौधा सूख जाये तो अपराध तो माली का है, पौधे का क्या अपराध? बालक भी एक पौधे की तरह है, प्यार दुलार के अभाव में उसका राह भटकना स्वाभाविक है। पहले बच्चा अपने दादा-दादी की गोद में पलता-पोसता था, आज ‘आया’ की गोद में पल रहा है। ज्यादातर बच्चे ‘क्रेंच’ में पल रहे हैं जो किसी एक जेलखाने से कम नहीं है। ‘दादा-दादी’, ‘नाना-नानी’ की गोद में बैठकर परियों की कहानी, त्याग, तपस्या, ईमानदारी की कहानी, राजा हरिश्चन्द्र, राजा मोरध्वज व भक्त श्रवण कुमार की कहानियाँ सुनने वाला बालक आज टी0वी0 पर अर्धनग्न बालाओं की तस्वीरों, दिशाभ्रमित व गुमराह करने वाले गंदगी से भरे, फूहड़ सीरियलों को देख रहा है तो बालक जैसा देखेगा, वैसा ही बनेगा। कुल मिलाकर तथा सब मिलकर बालक का दोहन ही तो कर रहे हैं, उसके कोमल मन-मस्तिष्क में मार-धाड़, अपराध व सेक्स ही तो भर रहे हैं, तो बालक तो राह भटकेगा ही! ‘बोये पेड़ बबूल के तो आम कहाँ से खाय’, जैसा बोओगे वैसा ही तो काटोगे! जब बच्चा राह भटक कर आगे बढ़ जाता है और वह इतनी दूर निकल जाता है कि फिर वहाँ से उसका लौट पाना असम्भव होता है, तब सभी मिलकर बालक का दोष देते हैं।
मैने कई ऐसे ‘दादा-दादी’ व ‘नाना-नानी’ से बातचीत की जिनकी औलादें बहुत ही ऊँचे पदों पर पदासीन है किन्तु वह अकेले ही रह रहे हैं। इन सबकी समस्याये अलग-अलग हैं। किसी की औलादे अपने साथ रखना पसन्द नहीं करती है तो कोई अपमान जनक व्यवहार के कारण रहना पसन्द नहीं करते हैं। एक ‘क महोदय’ बुजुर्ग दम्पति की बात सुनकर मैं चैंक गया। बड़े ही गुस्से में बोले यह नालायक औलाद हम दोनों को जीते जी ही अलग-अलग करना चाहते है। कहते हैं मम्मी मेरे साथ रहेगी और पिताजी बड़े भइया के साथ रहेंगे! मैंने कह दिया, चले जाओ यहाँ से, हम दोनों को कोई भी जीते जी अलग नहीं कर सकता है। हम दुख-सुख सह लेंगे लेकिन रहेंगे साथ-साथ। इनकी बात सुनकर मैं ‘श्रीमान ख महोदय’ के पास पहुँचा, उनसे बात हुई तो उनकी इनसे भी गंभीर समस्या है। कहते हैं मेरी पत्नी का तो स्वर्गवास हो गया है। मेरे तीन बेटे हैं और तीनों ही बड़े अधिकारी हैं। तीनों चार-चार महीने बाँटकर अपने-अपने पास रखते हैं। समय पूरा होने पर ड्राइवर द्वारा दूसरे भाई के घर भिजवा देते हैं। बस इसी तरह वर्ष पूरा हो जाता है। अब मरने की घडि़याँ गिन रहा हूँ। इन महोदय से मिलकर जब मैं ‘ग महोदय’ से मिलने आगे बढ़ा तो इन बुजुर्ग दम्पत्ति से बातचीत हुई तो कहने लगे भइया कहाँ जायें, बेटे के पास छोटी सी नौकरी है, दो कमरे का मकान है, कहाँ हमको रखे और कहाँ खुद रहे। सो हम भार नहीं बनना चाहते हैं किसी के ऊपर! और फिर यहाँ भी तो एक घोसला (मकान) बनवा लिया है इसकी देख-रेख कौन करे। उनके यह सात्विक विचार सुनकर आगे बढ़ा तो सामने से ‘घ महोदय’ आते हुए दिखाई दिये। कुशल-क्षेम पूछने के बाद जब मैंने कहा कि आप तो अपने बेटे के पास गये थे, वापस क्यों आ गये? इतना सुनते ही तपाक से बोले भइया हम कोई कैदी तो हैं नहीं कि खाना खा लिया औरपड़े रहें बंद काल कोठरी में। न कहीं जा सकते हैं, न कहीं आ सकते हैं, यहाँ न बैठो, वहाँ न बैठो, इससे बात न करो, उनसे बात न करो। हद तो तब हो गई जब बहू ने बच्चों से बात करने पर भी रोक लगा दी। अब तुम्हीं बताओ क्या जरूरत है वहाँ हमारी? हम तो रहेंगे स्वछन्द, पूर्ण स्वतंत्रता के साथ विचरण करेंगे। श्रीमान घ महोदय की कहानी सुनकर आगे बढ़ा ही था कि ‘च महोदय’ से मुलाकात हो गई। शिक्षा विभाग से रिटायर हुए हैं। यह पूछने पर कि आप बच्चों के साथ क्यों नहीं रहते हैं, बोले, बच्चों को हमारे शरीर से गंध आती है। आने जाने वाले मेहमानों से मिलवाने में डरते हैं। सोचते हैं कि मिलवा देंगे तो उनकी शान में बट्टा लग जायेगा। इसी डर से घर के पिछवाड़े एक कमरा दिया था रहने के लिए। ऐसी अपमानजनक स्थिति से भूखों मरना ही अच्छा है।
लगभग सभी बुजुर्गो की यही आत्म कथायें है। इसमें इनका दोष कम और इनकी औलादों का दोष अधिक नजर आ रहा है। काश! इनकी औलाद यह समझ पाती कि माता-पिता के साथ रखने से दो पीढि़यों का कल्याण होता है। एक तो अपना जीवन सँभलता है, दूसरे बच्चों का जीवन सँभलता है। घर में माता-पिता की मौजूदगी मात्र से ही सब बला टल जाती है। आइये! दूसरे पक्ष का भी मन टटोले कि आखिर खामी है कहाँ?
इन बच्चों के माता-पिता की अपनी समस्याये हैं। इनमें से कुछ का कहना है कि हम तो अपने माता-पिता को साथ रखना चाहते हैं किन्तु वह खुद ही रहना नहीं चाहते हैं, रूढिवादी हैं, अपना घर छोड़ने को तैयार नही है। कुछ माता-पिता का कहना है कि देखिये शर्मा जी हम भी बाल बच्चेदार है, हम पल्लू से बंधकर तो नहीं रह सकते हैं, अपने माता-पिता के। आखिर हमारी भी तो कोई जिम्मेदारी है हम पहले बच्चों को देखें या उनको देखें! वह यहाँ आ जायें, रहे आराम सेे, हमें तो कोई परेशानी नही है। हाँ एक बात अवश्य है कि उनकी टोका-टाकी अब अच्छी नहीं लगती है और चुपचाप वह रह नहीं सकते हैं इसलिए हमारी उनसे पटरी नही खाती है। दूसरे माता-पिता दम्पति से जब उनसे इस विषय पर बातचीत की तो उन्होंने बताया कि शर्मा जी हम दोनों पति-पत्नी नौकरी करते हैं। बच्चे स्कूल चले जाते हैं अब हम माता-पिता की अधिक सेवा तो नहीं कर सकते हैं। अब जब वह यहाँ रहते हैं तो फिर अकेला ही उन्हें रहना पड़ेगा। अब मैं पहुँचा एक अन्य परिवार में जहाँ बेटों का अपने पूज्य पिताजी के साथ मल्लयुद्ध चल रहा था साथ ही गालियों का वाकयुद्ध भी चल रहा था। मैं दंग रह गया पिता पुत्र का यह महाभारत देखकर! इन बुजुर्ग दम्पति के दो बेटे हैं। दोनों ही बेटे उसी घर में अलग-अलग रहते हैं, किन्तु अलग-अलग कमरों में! एक दूसरे से बोलचाल भी नहीं है। अक्सर घर में झगड़ा होता रहता है। सो आज घर में कलह पिता की पेंशन के लिए हो रही है। दोनों ही पिता की पेंशन लेना चाहते हैं, पिता की दाल रोटी की किसी को चिन्ता नहीं है। पेंशन की चिन्ता दोनों को है। अब ऐसे संयुक्त परिवार होने से क्या लाभ! दो बड़ों की लड़ाई में पिसता है बच्चे का भविष्य। माता-पिता को इतनी भी चिन्ता नहीं है कि आज जो व्यवहार हम अपने माता-पिता के साथ कर रहे हैं, कल हमारे बच्चे भी हमारे साथ यही व्यवहार करेंगे तब क्या होगा? तब वही होगा जो आप कर रहे हैं। क्या यह स्थिति ठीक रहेगी? दूसरे आज जो आपके बच्चे राह भटक रहे हैं, संस्कार हीन बन रहे हैं, दिशाभ्रमित हो रहे हैं क्या वह ठीक है?
आज आधुनिक ‘माता-पिता’ इस भौतिकतावादी संस्कृति में ऐसे रम गये हैं कि न तो इनको पूर्व पीढ़ी की चिन्ता है और न ही अपनी भावी पीढ़ी की चिन्ता है। एक पीढ़ी इनके बदलते व्यवहार से व्यथित है तो दूसरी पीढ़ी एकाकी जीवन की पीड़ा से ‘सिसक’ रही है। दोनों ही पीढ़ी के साथ आप अन्याय कर रहे हैं। इस नमक, तेल, लकड़ी के नाम पर दिन रात दौड़ रहे हैं। एक नही, दोनों माता-पिता दौड़ रहे हैं। इनको न तो अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्य याद रह गये हैं और न ही अपने बच्चों के प्रति कर्तव्य याद रह गये हैं। बस अच्छे स्कूल में एडमीशन, ट्यूटर, रिक्शा, बस की व्यवस्था, घर में टी0वी0 और फ्रिज का प्रबन्ध कर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ रहे हैं। न इनके पास अपने माता-पिता से बातचीत का समय है और न ही अपने बच्चों से बातचीत का समय है। यह स्थिति ठीक नहीं है। अतः अभी भी समय है, चेत जाइये, जग जाइये! अपने माता-पिता को अपने साथ रखिये। खूब मन से उनकी सेवा करिये। फिर आप देखेंगे कि वही माता-पिता जिन्हें आप ‘रूढिवादी मानसिकता’ का व बेकार समझ बैठे हैं, आपके लिए सबसे अधिक उपयोगी सिद्ध होंगे। जब यह आपको पढ़ा-लिखाकर, पाल-पोसकर बड़ा कर सकते हैं तो फिर आपके बच्चों को क्यों नहीं कर सकते हैं? आप माता-पिता को साथ रखकर उनकी सेवा करके तो देखिये, आपकी तीनों पीढ़ी सुखी हो जायेगी। आपके ‘माता-पिता’ सुखी रहेंगे, साथ ही आप जो तनाव में जी रहे हैं, तनावमुक्त हो जायेंगे व सुखी हो जायेंगे साथ ही आपके बच्चे राह भटकने से बच जायेंगे और सही रास्ते पर चलकर आपका नाम रोशन करेंगे। इससे भावी पीढ़ी भी सुखी हो जायेगी। तो फिर आप अभी भी क्या सोच रहे हैं? देरी क्यों कर रहे हैं, अपनी खातिर न सही तो भावी पीढ़ी की खातिर, संयुक्त परिवार की महत्ता को समझिये। प्लीज! बचा लीजिए अपने मासूम बच्चों के भविष्य को! अन्यथा राह तो वह भटक ही गये हैं उसमें आपको कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है।

ho-sharma
(हरि ओम शर्मा)
12, स्टेशन रोड, लखनऊ
फोन नं0: 0522-2638324
मोबाइल: 9415015045, 9839012365

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शिक्षा से ही होगा हर गरीब मजदूर का विकास - सी0डी0ओ0

Posted on 03 May 2011 by admin

मानव जाति की खुशहाली के लिए मई दिवस हमें सघर्षशील बनाता है

भूमि कब्जा, पेयजल, संपर्कमार्ग, जाबकार्ड, राशनकार्ड के छाये रहे मुददे

कवि सम्मेलन के माध्यम से रचनाकारों ने जागरूक किया मजदूरों को

विश्व मजदूर दिवस पर गरीबी के अंतिम पायदान पर जूझ रहे, सहरिया आदिवासियों ने बढ़चढ़कर लिया हिस्सा

ललितपुर -जनपद के सर्वाधिक पिछड़े मड़ावरा ब्लाक में बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान, चिनगारी संगठन, सहरिया जन अधिकार मंच एवं रोजगार हक अभियान के तत्वाधान में विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर खेतिहर एवं जाबकार्ड धारक मजदूर सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी बुद्विराम एवं विशिष्ठ अतिथि परियोजना निदेशक राजीव लोचन पाण्डेय, उपजिलाधिकारी महरौनी आर.के. श्रीवास्तव रहे। गांव-गांव से आये सहरिया आदिवासी मजदूरों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, सम्पर्क मार्ग, आवास, राशन कार्ड, पटटा भूमि कब्जा वंचित, आजीविका, यातायात आदि से संबंधित मुद्दों को दूर-दूर के गांवों से आये हजारों की संख्या में महिला-पुरूषों ने प्रार्थना-पत्रों के माध्यम से अपनी-अपनी बात रखी जिस पर अधिकारियों ने एक सप्ताह के अंदर समस्याओं के निराकण का आश्वासन दिया।
ब्लाक मुख्यालय परिसर में आयोजित विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर खेतिहर एवं जाबकार्ड धारक मजदूर सम्मेलन में मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी बुद्विराम ने कहा कि शिक्षा विकास के हर रास्ते प्रसस्त करती है। कहा कि जरा अपने बारे में सोचिये, देश को आजाद हुए एक लम्बा अरसा बीत गया किन्तु इसके बाद भी आप लोग वैसे के वैसे क्यों हैं। अपने बच्चों को पढायें तभी सही मायने में विकास की धारा से जुड सकेंगेे। मैं भी गरीब का बेटा हूं। गरीब हैं तो गरीबी कैसे कम हो इसके बारे में चिंतन करना होगा। सरकार की योजनाओं की सही जानकारी हो और सही लाभ मिले इसके लिए जागरूकता कार्यक्रमों में आकर सुनना और उनका अनुपालन करना सीखना होगा। बच्चों को शिक्षित करने पर ही गरीबी कम होगी। जब बच्चा पढ जायेगा तो उसकी नौकरी लग सकती है एवं वह जहां भी रहेगा अपने रोजी रोटी की व्यवस्था कर लेगा तथा जब उसका पेट भरेगा तभी वह अपने मां बाप एवं अन्य के बारे में सोचेगा। इसलिए यदि जीवन में खुशहाली लाना है तो शिक्षा को अपना कर अपने घरों को रोशन करें। कहा कि आवास का पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में आता है, यदि कोई कोई अधिकारी समय से पैसा नहीं निकालता या फिर पैसा मांगता है तो उसकी सिकायत करें, कार्यवाही की जायेगी। कई जगह लाभार्थी आवास का पैसा निकालकर खा जाते है और आवास अधूरा पडा रहता है इसलिए आप लोग आवास का पैसा आवास में ही खर्च करें और समय से कार्य पूरा कराके गांव एवं जिले की तरक्की में सहयोग करें। जो गांव अम्बेडकर गांव में आ गये हैं वहां पर कोई भी गरीब आवास से वंचित नहीं होगा।
परियोजना निदेशक राजीव लोचन पाण्डेय ने कहा कि मजदूर अपने जाबकार्ड का महत्व समझें। साल मे 100 दिन का रोजगार का मतलब है कि गरीब को 10000 रू0 का काम मिलना ही है, जिससे कोई भी परिवार न तो पलायन करेगा और न ही भूखों मरेगा। वैसे तो हर गांव में काम चल रहे हैं किन्तु यदि किसी गांव में काम बंद है या फिर काम नहीं मिल रहा तो काम की मांग करे, फोन पर या फिर पत्र द्वारा सूचना दें, उन्हें तत्काल काम दिलाया जायेगा। कहा कि बुन्देलखण्ड मे मजदूर को सिर्फ 60 घन फिट मिटटी ही निकालनी पडती है इसके बाद भी लोग सही तरीके से काम नहीं करते हैं। आधा अधूरा काम करते हैं जिससे जब एमबी बनती है तो कम पैसा निकलता है, इसलिए आप लोग पूरा काम करें, और पूरी मजदूरी लें तभी बदलाव आयेगा। यदि मजदूरी मिलने में किसी कारण से विलम्ब हो रहा है तो संबंधित विकास अधिकारियों को अवगत करायें।
उपजिलाधिकारी आर.के. श्रीवास्तव ने कहा कि पटटा भूमि कब्जा से वंचित परिवारों को हर दशा में उनकी जमीन में उनकों कब्जा दिलाया जायेगा। कहा कि लेखपालों को संबंधित गांवों में लगाकर सहरिया आदिवासी परिवारों को कब्जा दिलाया जायेगा। जो दबंग जमीनों का कब्जा नहीं छोडेंने का प्रयास करेंगें उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर कब्जा दिलाया जायेगा। कहा कि आप लोग फोन या फिर लिखित में पत्र देकर अवगत करायें तत्काल कार्यवाही कर समस्या का निराकरण किया जायेगा।
अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के संस्थापक वरिष्ठ समाज सेवी गोपाल भाई ने कहा कि बुन्देलखण्ड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। चाहे कवि हों या फिर मृदंग वादक, लोककलाओं के धनी इस क्षेत्र की सम्पदाओं का दोहन करके यहां के लोगों को गरीब बनाया गया है। प्राकृतिक संतुलन को विगाड़कर हम बडे़-बड़े भवन खडे कर रहे हैं। जिससे बडे-बडे पहाड एवं वृक्ष नष्ट हो रहें है। पहाडों को खनन की परमीसन भी जिम्मेदार अधिकारी ही देते हैं। इसलिए इसपर गहन चिंतन की जरूरत है। इतिहास में जिस प्रकार से कवियों ने जागरूकता के लिए कवितायें लिखकर लोगों को जगाने का काम किया था आज जरूरत फिर से है कि कविताओं के माध्यम से समाज को जगाया जाये तभी समस्याओं के निराकरण की हम बात कर सकते हैं।
नेहरू महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो0 भगवतनारायण शर्मा ने ठेट बुन्देली बोली में अपने उदगार व्यक्त करते हुए जनजाति समुदाय से सीधा संवाद किया। उन्होंने कहा कि मानव जाति की खुशहाली के लिए मई दिवस हमें सघर्षशील बनाता है। कहा कि वेतन भोगी संगठित क्षेत्र में सिर्फ 2.6 करोड़ कर्मचारी ही आते हैं, पर खंेतिहर मजदूर गरीब किसान, निर्माण मजदूर, शिल्पकार आदि वंचितजनों जिनकी तादाद 80 करोड़ है अंसगठित क्षेत्र में माने जाते हैं, परन्तु देश की सकल आय ‘‘जी.डी.पी.‘‘ में इनका हिस्सा 50 प्रतिशत से अधिक है यदि इन करोडों बेजुबानों द्वारा अर्जिम राष्ट्रीय आय का एक प्रतिशत हिस्सा ईमानदारी से खर्च किया जाये तो न जाने कितने मुरझाये चेहरों पर मुस्कान खिल सकती हैं। कितने ही सूखे खेतों में रूठी हरियाली दौड़ सकती है, परन्तु पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर युवा नेता राहुल गांधी तक आते-आते अभी यह तयं ही नहीं हो पा रहा है कि 5 पैसे से लेकर 15 पैसे तक जरूरतमंदों के जेबों तक क्यों पहुंच रहे हैं, और 85 प्रतिशत धन किसकी जेब में पहुंच रहा है। प्रो0 शर्मा ने आगे कहा कि जिस दिन असंगठित क्षेत्र के श्रमिक संगठित हो जायेंगें उस दिन निर्माण और विकास का आदेश दिल्ली और लखनऊ से न आकर ग्रामीण धरातल से नीचे से उपर की ओर जाने लगेगा और सिर के बल खड़ा तंत्र अपने पावों के बल पर खड़ा हो जायेगा, बसर्ते कि दायें-बायें देखे बिना कोटि-कोटि मजदूर परस्पर संगठित रहने के सत्य पर अपनी अर्जुन दृष्टि जमायें रहें। एक का दुःख सबका दुःख की भावना से प्रेरित विश्व मजदूर दिवस अपने गर्भ में विराट सामाजिक रूपांतरण की प्रजण्ड शक्ति धारण किये है। ये मानव जाति की खुशहाली के लिए हमें सतत संघर्षशील बनाती है।
बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के मंत्री वासुदेव ने कहा कि 1 मई 1886 को अमेरिका के सबसे बडे़ औद्योगिक नगर केन्द्र शिकागों में 8 घण्टें के कार्य दिवस तथा मजदूरों की बेहतर कार्य दशाओं की मांग को लेकर शांती पूर्वक की जाने वाली हड़ताल के क्रम में उतपीड़क नियोक्ता उद्योगपतियों की शह पर जिन 7 निर्दोष मजदूर नेताओं को न्यायिक प्रक्रिया का स्वां्रग रचाते हुए जिस प्रकार निर्ममता पूर्वक फंासी पर चढ़ा दिया गया उन्हीं शहीदों की याद पर आयोजित विश्व मजदूर दिवस में मडावरा क्षेत्र के दूर दराज के गांवों के लोगों ने आकर अपनी एक जुटता एवं भाई चारे का प्रर्दशन किया है। यह ऐतिहासिक घटना है। अब इस क्षेत्र का गरीब मजदूर जागरूक एवं संगठन की राह पर चल पड़ा है
चिनगारी संगठन के अर्जुन सहरिया ने समस्याओं का सात सूत्रीय ज्ञापन सी0डी0ओ0 एवं उपजिलाधिकारी को सौंपते हुए कहा कि मडावरा ब्लाक जिले का सर्वाधिक पिछडा ब्लाक है जहाॅ पर शिक्षा साक्षरता का प्रतिशत बहुत कम है । यहाॅ दलित, सहरिया, गौड आदिवासी सुदूर जंगलो में बसे है जिसके कारण शिक्षा स्वास्थ्य, आजीविका, यातायात, पानी बिजली के सुविधाओ से वंचित है कुर्रट, लखंजर, नीमखेडा जैसे एक दर्जन गाॅव वन विभाग के कडे कानूनो के कारण सर्वागीण विकास से नही जुड पा रहे है। बच्चे तथा महिलाऐ अमानवीय जीवन जीने को मजबूर है। सहरिया आदिवासी परिवारों के गरीबी रेखा से ऊपर उठने में कृषि आधारित आजीविका का प्रमुख आधार भूमि है। सरकार द्वारा दिये गये पट्टे की भूमि में आज भी गरीब आदिवासी को कब्जा नही मिल रहा पा रहा है। उच्चाधिकारियों के  आदेशों का पालन स्थानीय लेखपाल सही ढ़ग से नही करते है। मडावरा क्षेत्र के 22 गावों के 101 पट्टेदारो की भूमि में उनको अब तक कब्जा नही मिल पा रहा है भूमि माप एंव कब्जा दिलाओ अभियान चलाकर कब्जा दिलाया जाये। इसके साथ ही सभी भूमिहीनों को आवासीय पट्टा अनिवार्य रूप से दिया जाये। जिन अनुसूचित जाति एंव जनजाति के लोगों के पास आवासीय भूमि नही के बराबर है, उसे आवासीय जमीन खरीद कर पट्टा दिया जाये। 10 वर्ष पुरानें पटटेदारों को जो भूिमधर बन चुके है और उनको अब तक मौके में खेत पर कब्जा नही मिला उसे भी मौके में कब्जा दिलाया जायें। वर्तमान में लेखपाल पुराने पटटेदारो को भूमिधर घोषित होने पर कब्जा नही दिलातें है। गरीबो को हदबन्दी दायर करने को लेखपाल प्रेरित करते है यह प्रक्रिया गरीबो के लिये काफी खर्चीली है। 5-10 हजार रू0 तहसील में जमा करना होता है। ग्राम सभा में तालाबों के पटटे गरीब आदिवासी परिवारो को तथा ढीमर परिवारो को मछली पालन के लिए दिये जायें। जिस ग्राम सभा की जमीन पर जिस भूमिहीन का कब्जा 1 मई 2007 से है, उसका उस जमीन पर 122 बी 4 एफ, वह 123 एक के आधार पर नाम दर्ज किये जायें। मडावरा ब्लाक में 132 प्राईमरी एंव 76 जूनियर विद्यालय है इन विद्यालयो में शिक्षको की कमी है जिससे बच्चों की पढाई ठीक से नही हो पा रही है। 18 प्राईमरी विद्यालय मे 18 शिक्षामित्र नही है और 5 विद्यालयो में शिक्षको का अभाव है। तीन जूनियर विद्यालयों मे अध्यापक नही है जिससे  सहरिया आदिवासी गरीब दलित बच्चे सबसे अधिक प्रभावित है मिडडे-मील भी समुचित ढंग से नही मिलता है आदिवासी बच्चो  के साथ भेदभाव किया जाता है।
घनघोर जंगल के बीच बसे गावों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जंगल के गांव लखंजर, पापरा, ठनगना, बारई, कुर्रट, जैतुपुरा, आदि के बच्चे तथा महिलाऐं स्वास्थ्य सुविधा से वंचित है। गर्मी और बरसात में मौसमी बीमारिया फैल जाती है कई दुखद घटनाऐं घट जाती है।
अप्रैल माह में किये गये सर्वेक्षण के आधार पर मडावरा ब्लाक के कुल 43 गावों के 432 हैण्डपम्पो में से 99 हैण्डपम्पों ने पानी देना बन्द कर दिया है। इसी प्रकार कुल 224 कुओं में से 98 कुऐं बेकार हो गये है। क्षेत्र में पेयजल संकट समाप्त करने हेतु हैण्डपम्पो को ठीक कराने तथा कुओ की मरम्मत कराने की अत्यन्त आवश्यकता है। ब्लाक के 23 गावों में जिनमे से हनुमतगढ, जलंधर, खैरपुरा, गिरार, विरोंदा, बम्हौरीखुर्द, मानपुरा, गरौलीमाफ, हीरापुर, टपरियन, बडवार, परसाटा, टोरी, सकरा, सागर, टौडीखैरा, हसेरा, सोरई सीरोन, कुर्रट, जैतुपुरा, ठनगना, हीरापुर में मनरेगा के माध्यम से कोई काम नही चल रहा है जिसके कारण गरीब लोग परेशान हैं। 5 ग्राम गरौली माफ, धौरीसागर, टोरी, हसेरा, जैतुपुरा की कुल 35 परिवारो की मजदूरी अभी तक शेष है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्र्तगत मडावरा ब्लाक के 18 गाॅव यथा हनुमतगढ, जलंधर, खैरपुरा, इमलिया, विरोंदा, बम्हौरीखुर्द, नीमखेडा, परसाटा, धौरीसागर, सेमरखेडा, सकरा, सागर, भौती, सीरौन, मदनपुर, दलपतपुर, जैतुपुरा, सोल्दा में राशन कार्ड धारको कों सस्ता अनाज गेहू, चावल, मिटटी का तेल, नही मिल पा रहा है। कोटेदार गरीबों की सामाग्री उन्हे नही दे रहे है।
सम्मेलन में खण्ड विकास अधिकारी एम.के. दीक्षित, देवब्रत क्षेत्रीय प्रबंधक एक्शन एड लखनऊ, समीनाबानों पी.ओ. एक्शन एड लखनऊ, चिनगारी संगठन की शीलरानी सहरिया, सरजूबाई रैकवार, अजय श्रीवास्तव साईं ज्योति, संजय सिंह परमार्थ, मनोज कुमार कृति शोध संस्थान महोबा, सहरोज फातिमा चित्रकूट, बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के मानसिंह, रनवीर सिंह, राहत जहां, कौशर जहां, ऊषा सेन, श्रीराम कुशवाहा, मईयादीन, अनिल तिवारी,, बृजलाल कुशवाहा आदि मौजूद रहे। सुरक्षा की दृष्टिकोंण से थानाध्यक्ष मडावरा शमीम खांन कार्यक्रम में मौजूद रहे।

‘‘खुद झोपडी में रहते औरों के घर बनाते, मजदूर धूप में भी अपना लहू बहाते‘‘

विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर खेतिहर एवं जाबकार्ड धाराक मजदूर सम्मेलन साहित्यक संस्था हिन्दी उर्दू अदबी संगम द्वारा कवि सम्मेलन एवं मुषायरे के द्वारा कवियों एवं रचाकारों द्वारा कविताओं के माध्यम से मजदूरों को जागरूक करने का काम किया गया। एडवोकेट रामकृष्ण कुशवाहा ने कहा कि पेट्रोल बनकर लहू मजदूरों का जलता है, तरक्की का रास्ता मेहनत से निकलता है, गरीबी का अहसास कहां है अमीरों को, मजदूरों के घर में चूल्हा कैसे जलता है। मु0 शकील साहब ने कहा कि खुद झोपडी में रहते औरों के घर बनाते, मजदूर धूप में भी अपना लहू बहाते। रचनाकार हरिनारायण पटेल ने कहा कि जागों ये मजदूर किसानों, वक्त गुजरता जायेगा, हम जग के हर दुखयारे को , नया संदेशा लायेगें। कवि किशन सिंह बंजारा ने कहा कि भाई बहिनों पेड लगायें, एक नहीं दो चार लगायें, इन्हें देखकर लोगों के मन में भी होगा विचार, लगाओ पेड़ खुशी से यार। अख्तर जलील अख्तर ने कहा कि अख्तर किसी की भूख की शिददत तो देखिये, कपडों में कोई पेट का पत्थर छिपाये हैं। शायर नंदलाल पहलवान ने कहा कि गरीब भी मजदूर भी बन सकता है हाकिम, बाबा साहब ने ऐसा करके दिखा दिया। कवि दशरथ पटेल ने कहा कि जाओ देखो भारत की तस्वीर, कोऊ खां न मिलहें सूखी रोटी, कोऊ कोऊ खाये खीर, कोऊ खों नैया मठा महेरी, कोऊ खाये दूध पनीर, जा देखौं भारत की तस्वीर। शिखरचंद मुफलिस ने कहा कि कौन मां के पेट से लाया तिजोडी, नग्न दफनाये गये लाला, करोडी। कवियों की जागरूगता की रचनाओं ने क्षेत्रीय लोगों को नयी ऊर्जा देने का काम किया, जिन्हें लोगों ने खूब सराहा। सम्मेलन में कवि किशन सिंह बंजारा, गीतकार हरीनारायण पटेल, शायर मोहम्मद शकील, कालूराम कुशवाहा, कवि दशरथ पटेल, अख्तर जलील अख्तर, शायर नंदलाल पहलवान, शिखर चंद्र मुफलिस, रामकिशन सिंह कुशवाहा आदि ने रचनाओं के माध्यम से सशक्त करने का काम किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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111 निर्धन कन्याओं का विवाह सांसद व विधायक ने कराया सम्पन्न

Posted on 03 May 2011 by admin

सुलतानपुर - राजर्षि रणंजय सिंह जन कल्याण समिति के तत्वाधान में कल रात नगर के महात्मा गांधी स्मारक इण्टर कालेज में सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया। जिसमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं  सदर सांसद डाॅ. संजय सिंह व अमेठी विधायिक अमीता सिंह सुलतानपुर और छत्रपति शाहूजी महराज नगर से विभिन्न जातियों के गरीब व निर्धन चयनित 111 कन्याओं का कन्यादान किया। कन्याओं के साथ विधायक अमीता सिंह और वर के साथ सांसद डाॅ. संजय सिंह ने विवाहोत्सव की सम्पूर्ण वैवाहिक कार्यक्रमों की व्यवस्था करते दिखाई पड़े। कार्यक्रमा अनुसार 111 दुल्हों की बारात पं. रामनरेश त्रिपाठी सभागार से बारातियों को जलपान कराये जाने के बाद बैण्डबाजे के साथ डाॅ0 संजय सिंह की अगुवाई में निकली। विवाह की बेदी पर कन्याओं के साथ विधायक. अमीता सिंह पहुंची और दोनों पक्षों के माता-पिता की मोजूदगी में समस्त वैवाहिक कार्यक्रम सम्पन्न कराये। दहेज की विभीषिका, निर्धन माता-पिता की विपन्नता एवं उनकी बेटियों की विवशता को समिति की अध्यक्ष अमीता सिंह ने बहुत गहराई  तक महसूस किया और उन्हें राहत पहुंचाने एवं उनकी बेटियों के उज्जवल भविष्य के लिए सामूहिक विवाह का सूत्रपात किया। उपरोक्त  संस्था सामूहिक विवाह के माध्यम से उन गरीब परिवारों की हर सम्भव मदद करना चाहती है।, जिन्हें अपनी पुत्री के विवाह में अपनी जमीन एवं अन्य सम्पत्तियों या तो गिरवी रखनी पड़ती है या बेंच देनी पड़ती हैं। निर्धन मां-बाप किसी तरह अपनी जमीन, जेवर बेंचकर  व कर्ज लेकर अपनी बेटी के हाथ पीले करते हैं तथा जीवन भर वर पक्ष के सामने हाथ जोडे़ खडे रहते है। इसके बावजूद न तो उसकी बेटी को ससुराल में सम्मान ही मिलता है, न ही उसे उसका अधिकार मिलता है। उसे शोषण का सामना करना पड़ता हैं। संस्था ऐसे गरीब परिवारों के विवाह का खर्च स्वयं वहन कर उन्हें अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रोत्साहित  भी करती है।
संस्था की ओर से डाॅ. संजय सिंह व अमीता सिंह ने नव विवाहित जोड़ों  को सम्मानपूर्वक जीवन शुरू करने के लिए स्त्रीधन के रूप में भेंट स्वरूप घरेलू जीवन की सभी आवश्यक वस्तुएं-वर्तन, डबल बेड, बिस्तर सेट, साइकिल, कपड़े, सिलाई मशीन, टेबुल फैन, चांदी के आभूषण, घड़ी आदि अनेकों सामान दिये गए। इससे कन्या पक्ष को न तो अपने वर को दहेज देने की चिंता रही और न ही वर पक्ष को कन्या पक्ष की ओर से कुछ दहेज न मिलने की शिकायत रह गई। दोनो पक्ष इस व्यवस्था में अपने पुत्र और पुत्रियों की शादी को कराकर खुद को धन्य मान रहे हैं। पांचोपीरन के रामकुमार ने कहा कि उनकी उम्र में बहुत जनप्रतिनिधि आये और गए किसी ने ऐसा पुनीत कार्य नहीं किया। इस आयोजन ने गरीब-अमीर की शादी का अन्तर ही मिटा दिया। हमें खुशी इस बात की और हुई कि हमारे पुत्र बब्लू की शादी में समाज का  एक बड़ा प्रबुद्ध वर्ग कहे जाने वाला हर व्यक्ति शादी में शरीक हुआ है। हमारे बाराती भी धन्य हो गए जो उन्होंने 111 कन्याओं के सामूहिक विवाह के महायज्ञ में शामिल हुए।
कैप्सन- विवाह मण्डप  में  सांसद  संजय सिंह व विधायक  अमिता सिंह

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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30 मई को सुलतानपुर नहीं आयेंगे अन्ना हजारे

Posted on 28 April 2011 by admin

सुलतानपुर - प्रख्यात गाॅधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे का स्वास्थ्य अचानक खराब हो जाने के कारण 30 अप्रैल को होने वाली जनसभा कार्यक्रम में परिवर्तन की सूचना देते हुए कार्यक्रम के व्यवस्थापक संजय सिंह ने बताया कि अन्ना हजारे के स्थान पर सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश अरविन्द केजरीवाल, हास्य कवि जसपाल भट्टी , पूर्व डी.जी.पी. प्रकाश सिंह, युवा कवि कुमार विश्वास का कार्यक्रम 30 अपै्रल को 12 बजे दिन में तिकोनिया पार्क मे जनसभा को सम्बोधित करेंगे। आयोजन समिति के अध्यक्ष सुन्दर लाल टण्डन ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि गाॅधीवादी नेता अन्ना हजारे स्वास्थ्य ठीक होने पर जनपद में आने का भरोसा दिलाया है।

श्री टण्डन ने कहा कि अन्ना हजारे जिस भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के अगुआ है उससे जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता 30 अप्रैल को जनपद में आयंगे। जनता को नूरे उत्साह के साथ तिकोनिया पार्क की जनसभा में शामिल होने की अपील किया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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राज्य स्तरीय पुरस्कारों के आवेदन के लिए 30 सितम्बर अन्तिम तिथि

Posted on 15 September 2010 by admin

प्रदेश सरकार द्वारा गत वर्षो की भान्ति इस वर्ष भी 03 दिसम्बर को “विश्व विकलांगता दिवस´´के अवसर पर दक्ष विकलांग कर्मचारियों, उनके सेवायोजकों तथा प्लेसमेंट अधिकारियों को राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे। इसके लिए इन्दिरा भवन स्थित विकलांग कल्याण निदेशालय में आगामी 30 सितम्बर तक आवेदन पत्र स्वीकार किये जायेंगे।

यह जानकारी निदेशक विकलांग कल्याण, श्री अरविन्द कुमार द्विवेदी ने दी है। उन्होंने बताया कि आगामी 03 दिसम्बर को यह पुरस्कार प्रदेश के राज्यपाल श्री बी0एल0जोशी वितरित करेंगे। जनपद स्तर पर आवेदन पत्रों के परीक्षण तथा संस्तुति किये जाने हेतु एक समिति का गठन किया गया है। इसमें जनपद के जिलाधिकारी अध्यक्ष होंगे तथा जिला विकलांग कल्याण अधिकारी/समाज कल्याण अधिकारी, जिला सेवायोजन अधिकारी, विकलांगों के कल्याणार्थ कार्यरत स्वैच्छिक संगठन/व्यक्ति तथा जिलाधिकारी द्वारा नामित प्रतिनिधि सदस्य होंगे।

निदेशक ने बताया है कि इच्छुक व्यक्ति अपने जनपद के जिलाधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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खादी विभाग की समीक्षा बैठक सम्पन्न

Posted on 15 September 2010 by admin

ऋण सीमा 5 लाख रूपये से बढ़ाकर 10 लाख रूपये आरक्षित वर्ग को ब्याज रहित ऋण उपलब्ध -श्रीमती ओमवती

गांवों में अधिक से अधिक रोजगार सृजन हो सके। इसके लिए उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग  बोर्ड प्रदेश में विभिन्न योजनाएं संचालित कर रहा है। खादी एक ऐसी योजना है, जिसमें कम पूंजी निवेश करने पर भी अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। प्रदेश की खादी एवं ग्रामोद्योग राज्य मन्त्री (स्वतन्त्र प्रभार) श्रीमती ओमवती ने यह बात आज यहॉ अपने कार्यालय कक्ष में विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि शासन द्वारा अब मुख्यमन्त्री रोजगार योजना के अन्तर्गत अधिकतम ऋण सीमा 5 लाख रूपये से बढ़ाकर 10 लाख रूपये कर दी गई है तथा इसमें आरक्षित वर्ग के लाभार्थियों को ब्याज रहित ऋण उपलब्ध कराने का प्राविधान किया गया है।

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 5500 इकाइयों की स्थापना के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 1225 इकाइयों की स्थापना की जा चुकी है तथा 44000 व्यक्तियों को लाभािन्वत कराने के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 13204 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। इसी प्रकार प्रधानमन्त्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के अन्तर्गत 2496 इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए 34.84 करोड़ रूपये की मार्जिन मनी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। समीक्षा बैठक में बोर्ड के समूह ख, ग तथा घ के रिक्त पदों के सम्बन्ध में अवगत कराते हुए कहा गया कि कुल 523 पद रिक्त है, जिसकी शासन स्तर पर परीक्षणोंपरान्त अग्रेत्तर कार्यवाही कराये जाने के निर्देश दिये गये हैं। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमन्त्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, व्यावहारिक प्रशिक्षण तथा कौशल सुधार कार्यक्रम के अन्तर्गत अब तक 1930 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। खादी मन्त्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि लिम्बत प्रकरणों को यथाशीघ्र निस्तारित किया जाय।

बैठक में प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग श्री अशोक कुमार तथा अन्य वरिष्ठ विभागीय अधिकारी मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

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महिला आयोग द्वारा विभिन्न जनपदों में विधिक जागरूकता शिविरों का आयोजन

Posted on 15 September 2010 by admin

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग द्वारा इस माह में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में विधिक जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।

आज बाराबंकी तथा हरदोई जनपद के कन्या महाविद्यलयों में यह शिविर आयोजित हुए जिनमें आयोग की सदस्य सचिव सुश्री अनीता वर्मा तथा अन्य पदाधिकारियों ने छात्राओं को महिला अधिकारों तथा उनकी सुरक्षा तथा सम्मान की रक्षा के लिए बनाये गये कानूनों की जानकारी दी।

यह जानकारी आयोग की अध्यक्ष श्रीमती आभा अग्निहोत्री ने दी है। उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा आगामी 22 सितम्बर को सीतापुर तथा लखीमपुर खीरी एवं 23 सितम्बर को लखीमपुर खीरी एवं उरई में इन शिविरों का आयोजन किया जायेगा जिनमें विशेषज्ञ महिला अधिवक्ताओं,समाज सेवियों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि की भागीदारी भी सुनिश्चित कराई जायेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

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निर्माण श्रमिक अपना पंजीकरण जिला श्रम कार्यालयों में करायें -श्रम आयुक्त

Posted on 10 September 2010 by admin

लखनऊ  -  उत्तर प्रदेश सरकार श्रम विभाग के माध्यम से प्रदेश के निर्माण श्रमिकों का पंजीयन जिलों में स्थापित श्रम कार्यालयों द्वारा कराया जाना सुनिश्चित कर रही है ताकि सरकार द्वारा चलाई जा रही श्रमिक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हें तथा उनके परिवार को सुलभ हो सके।

सचिव, उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सिन्नर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड व श्रम आयुक्त श्री सीताराम मीना ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को पहचान प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया जा रहा है। गत माह जुलाई तक 11026 निर्माण श्रमिकों का पंजीयन विभाग द्वारा किया जा चुका है।

श्रम आयुक्त द्वारा निर्माण कार्यों से सम्बन्धित श्रमिकों से अपेक्षा की गई है कि वे तुरन्त सम्बन्धित जिले के श्रम विभाग के स्थानीय अधिकारियों से सम्पर्क स्थापित करके अपना पंजीकरण, नियमानुसार सुनिश्चित करवाये, ताकि अधिनियम एवं नियमावली के प्राविधानों के अन्तर्गत निर्माण श्रमिकों के हितार्थ कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उनहें सुलभ हो सके।

श्रमिक बन्धु, अधिक जानकारी एवं विवरण श्रम आयुक्त संगठन के क्षेत्रीय एवं जिला स्तरीय कार्यालयों से सम्पर्क कर प्राप्त कर सकते हैं। श्रम आयुक्त ने सामाजिक कार्यकताओं, ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों, गैर सरकार स्वैच्छिक संगठनों के प्रतिनिधियों, प्रबुद्ध नागरिकों तथा उद्योग संगठनों से इस कार्य में सुलभ सहयोग प्रदान करने की अपील की है। किसी भी प्रकार की कठिनाई एवं अधिक जानकारी के लिये श्रम आयुक्त कार्यालय जी0टी0रोड, कानपुर से भी सम्पर्क किया जा सकता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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रोजगार मेला 15 सितम्बर को

Posted on 10 September 2010 by admin

आगरा - क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय सांई की तकिया, एम0 जी0 रोड आगरा के परिसर में दिनांक  15 सितम्बर 2010 को प्रात: 10 बजे से रोजगार मेले का आयोजन किया जायेगा।

क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी राजीव कुमार यादव ने बताया कि इस रोजगार मेले में जय कॉर्प लि0 वसोना (सिलवासा) निकट वायी गुजरात द्वारा प्रशिक्षु वर्क मैन के 100 पदों हेतु योग्यता कक्षा 2 से 9 पास तक (हाईस्कूल फेल तक) आयु 18 से 28 वर्ष के अभ्यर्थियों में से भर्ती की जायेगी।

उन्होंने बताया कि इच्छुक अभ्यर्थी अपना आवेदन पत्र दिनांक: 14 सितम्बर 2010 दिन मंगलवार तक कार्यालय के कक्ष सं0 08 में जमा करके अपना रौल नं0 प्राप्त कर लें। चयन साक्षात्कार हेतु दिनांक: 15 सितम्बर 2010 दिन बुधवार प्रात: 10 बजे सभी मूल प्रमाण पत्रों, नवीनतम चार फोटो, पहचान पत्र एवं रोल0 नं0 स्लिप के साथ कैम्पस चयन हेतु उपस्थित हों। इसी दिन भर्ती की कार्यवाही पूर्ण की जायेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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