Archive | चुनाव

चुनाव से पहले बढ़ गई वेश्याओं की मांग

Posted on 12 October 2009 by admin

मुंबई- महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले वेश्याओं की मांग अचानक से बढ़ गई है। यह मांग इसलिए बढ़ी है क्योंकि मैदान में खड़े कई उम्मीदवार अपने कार्यकताओं को लुभाने के लिए उन्हें वेश्याएं उपलब्ध करा रहे हैं। किसी भी चुनाव में उम्मीदवार के साथ उसके साथ लगे कार्यकर्ता भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं जो नेता जी के पक्ष में माहौल बनाते हैं। ऐसे में नेताजी की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे अपने कार्यकताओं का ध्यान रखें।

मुंबई के एक अंग्रेजी अखबार की एक खबर के अनुसार यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले भी चुनाव के एक महीने पहले से कार्यकर्ताओं को वेश्याएं उपलब्ध कराई जाती रहीं हैं। ताकि चुनावी थकान से वे दूर रह सकें।

इस बात की पुष्टि मुंबई में कार्य कर रहे एनजीओ भी करते हैं। उनके अनुसार चुनाव के एक महीने पहले से ही वेश्याओं की मांग में अचानक जोरदार तेजी आ जाती है। कार्यकर्ता एक महीने पहले से ही अपनी-अपनी पसंद की वेश्याओं को बुक कर लेते हैं।

एक अनुमान के अनुसार अब तक एक हजार से अधिक वेश्याओं को पहले से बुक करा लिया गया है। सामान्य दिनों में जो वेश्याएं छह सौ से दो हजार रूपए कमाती हैं, चुनाव के दौरान चार हजार रूपए तक कमा लेती हैं।

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संसद का सत्र 1 जून से

Posted on 24 May 2009 by admin

नई दिल्ली-प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बुलाई गई कैबिनेट की पहली बैठक खत्म हो गई है। इसके साथ ही यह भी साफ हो गया है कि संसद सत्र 1 जून से शुरु होगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री के साथ 19 कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली थी।

* 1 जून से शुरु हो रहा लोकसभा का संसद सत्र 9 जून तक चलेगा

* 1 और 2 जून को नए सांसद शपथ लेंगे

* 3 जून को स्पीकर का चुनाव होगा

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नहीं टूटा अटल व सोमनाथ चटर्जी का कीर्तिमान

Posted on 18 May 2009 by admin

नई दिल्ली- पंद्रहवीं लोकसभा के चुनाव में बड़े बड़े दिग्गजों ने सफलता के झंडे गाड़े, लेकिन उनमें से कोई भी भारतीय राजनीति के दो महारथियों अटल बिहारी वाजपेई और सोमनाथ चटर्जी के सबसे ज्यादा बार जीतने के रिकार्ड को तोड़ना तो दूर उसे छू भी नहीं पाया।

जिन दो लोगों जार्ज फर्नाडीस और गिरिधर गमांग के इस रिकार्ड की बराबरी करने की संभावना थी। वे दोनों जनता के दरबार में नकार दिए गए अत: अब 16 वीं लोकसभा तक यह कीर्तिमान बना रहेगा। दिग्गज समाजवादी फर्नाडीस बिहार की मुजफ्फरपुर सीट पर जमानत राशि तक नहीं बचा पाए जबकि पूर्व मुख्यमंत्री गमांग उड़ीसा की कोरापुट सीट पर मात खा बैठे।

फर्नाडीस और गमांग अब तक नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं जबकि वाजपेई और चटर्जी दस बार देश के सर्वोच्च निर्वाचित सदन के सदस्य रह चुके हैं। हालांकि इस बार दोनों चुनाव मैदान में नहीं उतरे। मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और पिछली लोकसभा में पार्टी संसदीय दल के नेता रहे वसुदेव आचार्य ने नौ बार चुनाव जीतने के फर्नाडीस और गमांग के रिकार्ड की बराबरी कर ली है। आचार्य पहली बार सातवीं लोकसभा के सदस्य बने थे और तब से वह लगातार जीतते आ रहे हैं। उनके अलावा हन्नान मोल्लाह ने यह करिश्मा किया है जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनोरंजन भक्त इस बार मैदान में नहीं उतरे।

आठ बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले रामविलास पासवान और भाजपा के डा लक्ष्मीनारायण पांडे की पराजय ने उन्हें इस कीर्तिमान की बराबरी करने से रोक दिया। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी ए संगमा इस बार तुरा से नहीं उतरे और उनकी जगह उनकी पुत्री अगाथा दूसरी बार लोकसभा की सदस्य बनी। संगमा भी आठ बार चुनाव जीत चुके हैं। आठ बार के विजेता हन्नान मोल्लाह और सतन कुमार मंडल भी 15 वीं लोकसभा में नहीं दिखाई देंगे।

सात बार चुनाव जीत चुके केंद्रीय मंत्री संतोष मोहन देव इस दफा असम में चुनाव हार गए जिसके साथ ही आठवीं बार लोकसभा में पहुंचने का उनका सपना अधूरा रह गया लेकिन उनके सहयोगी कमलनाथ ने आठवीं जीत छिंदवाडा से दर्ज की है। कमलनाथ और देव दोनों ही पहली बार सातवीं लोकसभा में चुने गए थे। मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सत्यनारायण जटिया ने भी सातवीं लोकसभा में पहली बार दाखिले के साथ सफर शुरू किया था लेकिन वह इस बार नहीं चुने गए हैं। यही हाल आठवीं लोकसभा से प्रवेश पाने वाले अनिल बसु, सातवीं में पहली बार चुने गए रूपचंद पाल का हुआ है।

तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने सातवीं दफा लोकसभा का चुनाव जीता है। वह पहली बार आठवीं लोकसभा की सदस्य बनी थीं, लेकिन नौंवी लोकसभा का चुनाव हार गई थीं। उसके बाद से वह लगातार सदन की सदस्य निर्वाचित हो रही हैं। पी चिदंबरम ने भी ममता के साथ अपना लोकसभा का सफर शुरू किया था और वह भी उनकी ही बराबरी पर हैं लेकिन नौंवी लोकसभा में पहली बार निर्वाचित होने वाले संतोष कुमार गंगवार इस बार उत्तर प्रदेश की बरेली सीट से चुनाव में पराजित हो गए हैं। वह लगातार चुनाव जीतते आ रहे थे, लेकिन उनकी पार्टी की सुमित्रा महाजन ने अपना सफर जारी रखा है और वह 15 वीं लोकसभा की सदस्य निर्वाचित हुई हैं।

शरद पवार, अर्जुन चरण सेठी, हरीन पाठक विलास बाबूराव मुत्तेमवार और शिबू सोरेन ने सातवीं बार लोकसभा का चुनाव जीता है लेकिन वाजपेई और चटर्जी की बराबरी करने के लिए उन्हें अभी काफी दूरी तय करनी होगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इस बार भी गांधीनगर लोकसभा सीट से जीत दर्ज कर लोकसभा का रास्ता तय किया है लेकिन यह उनकी छठीं लोकसभा होगी। यही आलम विदेश राज्य मंत्री ई अहमद, चिन्ता मोहन, बी के हांडिक और चौधरी अजित सिंह की है।

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वरुण गांधी पर रासुका गलत

Posted on 08 May 2009 by admin

लखनऊ - भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं पीलीभीत संसदीय सीट के उम्मीदवार वरुण गांधी पर राज्य सरकार के रासुका लगाये जाने को हाईकोर्ट लखनऊ खंडपीठ के एडवाइजरी बोर्ड ने गैरकानूनी मानते हुए कहा है कि वरुण गांधी पर रासुका लगाया जाना गलत है, इसे हटाया जाना चाहिए।

बोर्ड ने अपने निर्णय में रासुका लगाये जाने की मंजूरी देने से मना कर दिया है। इस मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। विदित हो कि राज्य सरकार के रासुका लगाये जाने के विरुद्ध वरुण गांधी 28 अप्रैल को हाईकोर्ट की एडवाइजरी बोर्ड के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए तथा अपने बचाव में प्रत्यावेदन भी बोर्ड को दिया।

अपने प्रत्यावेदन में वरुण गांधी ने कहा उन पर लगाया गया रासुका विधि विरुद्ध है। उन्होंने कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया। जो भी सी.डी. दिखाई गयी और जिसके आधार पर रासुका तामील किया गया, उसमें गलत तथ्यों को दर्शाया गया है। वरुण गांधी ने अपने बचाव में यह भी कहा कि उनके कथित समर्थकों ने जो तोड़फोड़ व झगड़े आदि की कार्यवाही की, वह बाहरी लोग थे, जिनसे उनका कोई लेना-देना नहीं है। इन सब कार्यवाहियों का उन्हे ज्ञान भी नहीं था तथा राज्य सरकार ने विधि विरुद्ध तरीके से उन पर रासुका लगा दिया है।

प्रत्यावेदन पर विचार कर एडवाइजरी बोर्ड के न्यायमूर्ति प्रदीप कांत व सेवा निवृत्त न्यायमूर्ति पीके सरीन व सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एसएन सहाय ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार द्वारा लगाया गया रासुका गलत है। इसे हटाया जाना चाहिए। ज्ञातव्य हो 29 मार्च को वरुण गांधी पर पीलीभीत के जिलाधिकारी ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धारा 3 के तहत वरुण गांधी पर रासुका लगाया था।  आदेश में कहा गया था कि पीलीभीत में गत 8/9 मार्च को एक सभा के दौरान भड़काऊ भाषण दिए जाने से धार्मिक भावनायें भड़काने तथा धार्मिक भावनायें आहत किए जाने का प्रयास वरुण गांधी ने किया।

यह भी आरोप था कि 28 मार्च को वरुण गांधी ने न सिर्फ एस.पी. को दिए गये कार्यक्रम के विपरीत मार्ग व समय बदल कर लोक व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की, बल्कि अदालत के गेट पर भी आपत्ति जनक टिप्पणी की। इन आरोपों के चलते राज्य सरकार ने गत 29 मार्च को वरुण गांधी पर रासुका तामील कर दिया था।

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पियंका ने की वोट डालने की अपील

Posted on 07 May 2009 by admin

नई दिल्ली- प्रियंका गांधी वाड्रा ने 15वीं लोकसभा के लिए दिल्ली में बृहस्पतिवार को हो रहे मतदान में अपना वोट डाला।अपने पति राबर्ट वाड्रा के साथ प्रियंका ने लोदी इस्टेट के विद्याभवन महाविद्यालय में मत डाला।

यह पूछने पर कि क्या कांग्रेस राजधानी में सभी सातों सीटों पर जीत हासिल करेगी प्रियंका ने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है।’ उन्होंने मतदाताओं को संदेश दिया कि वह बाहर निकलें और ऐसी पार्टी और प्रधानमंत्री के लिए मतदान करें जिसने देश के विकास के लिए काम किया है। प्रियंका ने उम्मीद जताई कि कांग्रेस की संख्या पूरे देश में बढ़ेगी।

अपने भाई और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी द्वारा पार्टी के लिए सहयोगियों की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना पर उन्होंने कहा, ‘देखते हैं 16 मई के बाद क्या होता है।’

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वोटिंग नरम मौसम गरम,

Posted on 02 May 2009 by admin

नई दिल्ली- 15वीं लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव के तहत तीसरे चरण का मतदान बृहस्पतिवार को छिटपुट घटनाओं को छोड़कर शांतिपूर्वक संपन्न हो गया। इस दौरान गर्मी का असर मतदान के प्रतिशत पर स्पष्ट दिखा। नौ राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की 107 सीटों पर कुल 14 करोड़ 40 लाख दो हजार 265 मतदाताओं में से 50 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। प्रथम चरण में 60 प्रतिशत और दूसरे चरण में 55 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।
तीसरे चरण का मतदान संपन्न होने के साथ ही 101 महिला उम्मीदवारों समेत 1567 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत का फैसला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में बंद हो गया। इस चरण के संपन्न होने के साथ ही अब तक तीन चरणों में लोकसभा की 543 सीटों में से 372 के लिए मतदान हो गया है। मतदान के लिए कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए थे।
तीसरे चरण में गुजरात के 26, मध्य प्रदेश के 16, उत्तर प्रदेश के 15, पश्चिम बंगाल के 14, बिहार तथा कर्नाटक के 11-11 महाराष्ट्र के 10, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, दादर और नागर हवेली तथा दमन दीव के एक-एक संसदीय क्षेत्र में वोट डाले गए। इसके अलावा सिक्किम विधानसभा की 32 सीटों के लिए भी मतदान हुआ।
उप चुनाव आयुक्त आर. बालाकृष्णन ने यहां संवाददाताओं को बताया कि सबसे अधिक तकरीबन 65 प्रतिशत मतदान सिक्किम में हुआ, जहां विधानसभा के लिए भी मतदान हुआ जबकि सबसे कम लगभग 25 प्रतिशत मतदान जम्मू-कश्मीर में दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 45-45 प्रतिशत, कर्नाटक में 57 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 45 प्रतिशत, गुजरात में 50 प्रतिशत, दमन दीव में 60 प्रतिशत, दादरा और नागर हवेली में 60 प्रतिशत, बिहार में 48 प्रतिशत तथा पश्चिम बंगाल में 64 प्रतिशत वोट पड़े।पश्चिम बंगाल में पिछले आठ लोकसभा चुनावों के मुकाबले इस बार वोट प्रतिशत सबसे कम रहा। श्री बालाकृष्णन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 2004 और 1999 के मुकाबले वोट प्रतिशत काफी अधिक रहा। 2004 में जम्मू-कश्मीर में 15.04 प्रतिशत और 1999 में 14.32 प्रतिशत ही वोट पड़े थे। मतदान का प्रतिशत कम होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में बृहस्पतिवार को मतदान हुआ है, वहां पिछले चुनाव के मुकाबले वोट प्रतिशत में ज्यादा फर्क नहीं आया है।

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गंगा राष्ट्रीय नदी लेकिन प्रदूषण मुद्दा नहीं

Posted on 30 April 2009 by admin

लखनऊ- लोकसभा के लिए तीसरे चरण का मतदान बृहस्पतिवार को होना है लेकिन गंगा को आज भी ऐसे भगीरथ की तलाश है जो प्रदूषण से उसे निजात दिला सके। चुनाव के दौरान नेताओं के बीच छींटाकशी के सैलाब में बुनियादी मुद्दे बहते दिखे लेकिन 40 करोड़ से अधिक लोगों की जीवन रेखा गंगा की मुद्दा बनने की हसरत दिल में ही रह गई। जल संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठन एवरीथिंग एबाउट वाटर प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार गंगा नदी में प्रति वर्ष करीब 1.3 अरब लीटर गंदा पानी और 25 करोड़ लीटर कचरा बहा दिया जाता है।

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. पछताने के सिवा कुछ बाकी न रहेगा

Posted on 28 April 2009 by admin

नेताओं द्वारा किए वादे जब पूरे नहीं होते हैं तो जनता का भरोसा टूट जाता है। आज राजनीति का अर्थ ही बदल गया है, न तो पहले जैसे लोग बचे हैं और न ही राजनीति में आने के पीछे उनका उद्देश्य समाज सेवा रह गया है। स्थिति यह है कि आज के राजनेताओं ने राजनीति को एक व्यवसाय बना लिया है। यही सोच कर वे चुनाव में करोड़ों रुपये खर्च करते हैं और चुनाव में जीतने के बाद जनता से किए वादे उनके लिए मायने नहीं रखते।

हर क्षेत्र में योग्यता की पूछ है तो फिर राजनीति में ऐसा क्यों नहीं होता। पार्टियों का भी केवल सत्ता में आना लक्ष्य होता है। उन्हें भी जनता के हित का जरा भी ख्याल नहीं होता। भले ही उम्मीदवार का व्यक्तित्व कितना भी बुरा क्यों न हो, अगर वह क्षेत्र से जीत हासिल करने में सक्षम है तो पार्टी भी उसी पर भरोसा दिखाती है। ऐसी स्थिति में देश का भला कैसे हो सकता है।

हम सभी भारतवासी हैं और भारत का विकास लोकतंत्र के मजबूत होने पर ही संभव है, इसलिए देर से ही सही, अब भी वक्त है जागने का, नहीं तो फिर पछताने के सिवाय कुछ शेष नहीं रह जाएगा। जीवन में आनंद जरूरी है, लेकिन प्रकृति के साथ आनंद में जो मजा है वह बनावटीपन में कहां, इसलिए आर्टिफिशियल और फास्ट फूड का आनंद लेने वाले युवकों जागो और देश के लिए वोट करो, तभी जिंदगी का प्राकृतिक आनंद ले सकोगे। एक-एक वोट कीमती है, अपने अधिकार का प्रयोग करें और देश को एक अच्छा शासक दें।

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जिद लोकतंत्र के बिगड़े स्वरूप को सुधारने की

Posted on 27 April 2009 by admin

शरीर ने उनका साथ देना बंद कर दिया है, बैंक वाले पेंशन देने से पहले उनके जिंदा होने का प्रमाण मांगते हैं। सोल्जर्स फोरम ने तो उन्हें दस साल पहले ही मृत घोषित कर दिया था। उम्र के उस पड़ाव पर हैं कि शायद अकेले खड़े होकर इन अव्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज न उठा पाएं, लेकिन आज भी उन्हें जानने वाले उनके इस जज्बे को सलाम करते हैं। हम बात कर रहे हैं सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के एक सिपाही व 110 वर्षीय पतराम पवार की, जिसने अपनी जिंदगी में कभी हार नहीं मानी। इसका ही परिणाम है कि आज भी उन्हें अपने लोकतंत्र पर गर्व है और इसमें सुधार की जरूरत के लिए वह 15वीं लोकसभा के चुनाव में अपना मतदान करने को आतुर हैं।

गांव खेड़की माजरा निवासी पतराम पवार सुभाष चंद्र बोस के जमाने की बातों को याद कर जहां उत्तेजित हो जाते हैं, वहीं आज की राजनीति की बातें उन्हें दुखी कर देती हैं। जीवन की मजबूरी और परिवार की आर्थिक पीड़ा की झलक उनकी बातों में तो नहीं पर आंखो में दिखाई देती है, लेकिन कभी हार न मानने वाले इस व्यक्ति का कहना है कि वह इस लोकसभा के चुनाव में अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग जरूर करेंगे, हालांकि पिछले पांच दिन से उन्होंने कुछ नहीं खाया है। बीमारी ने उन्हें जकड़ा हुआ है। शरीर काफी कमजोर हो चला है, फिर भी जिद लोकतंत्र के बिगड़े स्वरूप को अपने मतदान से सुधारने की। पतराम भरभराई आवाज में कहते हैं कि बोस एक ही बात कहते थे खूब लड़ो और देश को आजाद करो। लोगों की शहादत से आजादी तो मिल गई लेकिन वो भाईचारा, दूसरे के लिए दर्द लेने की भावना, साथ लेकर चलने की भावना के साथ ईमानदारी न जाने कहां गुम हो गई। ये बातें आज आहत तो करती हैं, लेकिन इसमें सुधार भी अब हम लोगों को ही लाना है। हमारी राजनीति का जो स्वरूप बिगड़ गया है, उसका समाधान तो हमारे पास ही है, बस हमें अपना वोट ही तो करना है। तो फिर हम ऐसे व्यक्ति को क्यों न चुनें जो हमारी सुने, हमारा जनप्रतिनिधि होकर समाज के उत्थान को अपना लक्ष्य बनाए। जब पहले जकड़नों में ऐसा आम हुआ करता था तो आज खुली हवाओं आज क्यों नहीं। आज तो लोग स्वतंत्र है, साधन संपन्न है, फिर क्यों अपने मौलिक अधिकार का अच्छे के लिए प्रयोग नहीं करते।

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पेशेवर राजनीति निगल गई कर्तव्य परायणता

Posted on 22 April 2009 by admin

चित्रकूट। वर्तमान राजनीति का परिदृश्य देख कर प्रख्यात समाजसेवी नानाजी देशमुख खासे आहत हैं, उनका कहना है कि राजनेताओं में खुद की और देश के प्रति जिम्मेदारी नाम मात्र की भी नहीं रह गयी है। सफेदपोशों ने राजनीति को पूरी तरह से धंधा बना लिया है, वे लोगों की नहीं अपनी और अपने परिवार की उन्नति कर रहे हैं। उनका साफ कहना है कि राजनीति के दूषित माहौल को देखकर अब उन्होंने तो नेताओं से मिलना तक बंद कर दिया है।

मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रित्व काल में उद्योग मंत्री का प्रस्ताव ठुकरा चुके नानाजी ने 60 बरस की उम्र में यह कर राजनीति से संन्यास ले लिया था कि राजनीति में युवाओं को भी मौका दिया जाना चाहिए। पिछले दो वर्षो से 93 वर्षीय प्रख्यात समाज सेवी नानाजी हालांकि देखने में शारीरिक रूप से अक्षम हैं, लेकिन उनकी सक्रियता पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा है। वे व्हील चेयर पर बैठकर लोगों से रूबरू होते हैं।चित्रकूट में उनके आवास पर कुछ देर की बातचीत के दौरान समाजसेवा के लिए पद्मश्री व पद्मविभूषण से अलंकृत नानाजी ने राजनीति की दुर्दशा के लिए नेताओं को ही जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि वे जनप्रतिनिधि बनने के लिए चुनाव में खड़े तो हो जाते हैं पर जीतने के बाद उनको सिर्फ पैसा ही दिखाई पड़ता है। उनकी धनलोलुपता का ही परिणाम है कि देश के सभी संसदीय क्षेत्रों के विकास के लिए शुरू की सांसद निधि का जमकर दुरुपयोग हो रहा है।

नानाजी राजनीति में नेताओं द्वारा जातिवाद का जहर घोल कर कुर्सी पाने की चाहत से भी खासे व्यथित दिखे। उनका कहना था मायावती हों चाहे मुलायम या फिर शरद पवार, सभी पीएम बनने की होड़ में लगे हुए हैं, किसी को आम जनता की फिक्र नहीं है। इन सभी को भरत के आदर्शो से प्रेरणा लेनी चाहिए जिनको भगवान राम ने सत्ता सौंप दी थी लेकिन इसके बावजूद उन्होंने उसका परित्याग कर दिया।नानाजी भाजपा से भी खासे नाराज दिखे। उनका कहना था कि मंदिर के लिए मस्जिद तोड़ना पूरी तरह से गलत था और जिस रामलला के कारण भाजपा ने सत्ता हथियाई वही उसके आदर्शो को ही भूल गयी। उन्होंने कहा कि पार्टी द्वारा जो घोषणा पत्र दिये जाते हैं वे सिर्फ दिखावा मात्र हैं। भाजपा ने जो घोषणा पत्र में कहा है कि सत्ता में आने पर वह जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटा लेंगे वह पूरी तरह से भ्रामक है, क्योंकि केंद्र में उसको पूर्ण बहुमत तो हासिल नहीं होने वाला और त्रिशंकु सरकार में वह अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं होने वाली।

महंगाई और गरीबी से जूझ रही जनता के बावत उनका कहना था कि चंद उद्योगपतियों के अमीर होने से संपूर्ण देश का विकास नहीं हो सकता, जबतक कि गांवों के विकास पर ध्यान नहीं दिया जाता तब तक विकास की परिकल्पना करना ही अनुचित है।बाल ठाकरे और राज ठाकरे द्वारा महाराष्ट्र में भड़काऊ भाषण देकर क्षेत्रवाद फैलाने को नानाजी अनुचित मानते हैं। उनका कहना था कि अपनी-अपनी राजनीति चमकाने के चक्कर में दोनों नेता देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसी प्रकार वरुण ने जो बयान दिया वह भी दुर्भाग्यपूर्ण था।

बुंदेलखंड में सूखे के कारण किसानों द्वारा आत्महत्या किये जाने की बावत नानाजी का कहना था कि इन आत्महत्याओं पर भी खूब राजनीतिक रोटियां सेकी गयीं। किसी ने भी जाकर किसानों के दर्द को नहीं पूछा।

देश को मार्गदर्शन देने वाले संतों की बावत नाना जी ने कहा कि आज के संत केवल पैसा एकत्र करते हैं। हवाई जहाज में सैर सपाटा करने वाले ये संत लोगों का भला करने के बारे में क्या सोचेंगे?

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