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मात्र 100 लीटर पानी प्रतिदिन में जिन्दा रहने को विवश हैं विस्थापित परिवार

Posted on 02 January 2013 by admin

dscn8751कामरेड संजय नामदेव रिहा, जेल से निकल कर सीधे यात्रा में शामिल
प्रस्तुत है लोक संघर्ष यात्रा के पाचॅवे दिन का संक्षेप।
मंदिर निर्माण और गौ रक्षा की दुहाई देने वाली मध्य प्रदेश की भगवा सरकार का असल चेहरा विस्थापितों की बस्ती में दिखता है जो भारत के नये मन्दिरों के बतौर प्रतिष्ठित औद्योगिक केन्द्रों की स्थापना के मार्फत उजाड़े गये हंै। खेतिहरों को उजाड़कर मवेशियों को भुखे मरने के लिए मजबुर करना और उनके पुजा स्थलों पर बुलडोजर चलाना यह साबित करता है कि बिरला अम्बानी की चाटुकारिता में लगी इस भगवा सरकार का मुल चेहरा स्याह है।
इस बीच, यात्रा को रोकने की हरसंभव कोशिश करने वाली पुलिस को बडा झटका लगा जब संजय नामदेव को विधिक सहायता देने में लगी टीम को संजय को जेल से निकलने में सफलता मिल गयी। जेल से निकलते ही कामरेड संजय सीधे मझगवा पहुंचे और यात्रा में शामिल हो गये।
लोक संघर्ष यात्रा अपने पाॅचवे दिन मझगवा में बनी विस्थापित बस्ती में पहुॅची जो आदित्य बिरला समुह के एल्युमिनियम और पावर प्लान्ट लगने से उजाड़े गये हैं। यात्रा के पहॅुचते ही मोहन भाई के घर पर विस्थापित परिवारों का हुजुम इकट्ठा हो गया और हवाई यात्राओं अथवा चलती गाडि़यो मे बैठकर दिखने वाली खुबसुरत कालोनी की हकीकत पता चलते दो मिनट का भी समय नही लगा। कई कई एकड़ में किसानी करके न केवल अपनी आजीविका बल्कि भुमिहीनो को भी साल भर का रोजगार देते हुए और बाजारों के मार्फत शहरों तक अनाज पहुॅचाने वाले ये 1500 से ज्यादा परिवार 60.90 वर्गफुट जमीन पर बने कंक्रीट के दड़बे में रहने को विवश हैं। 60.90 के इस प्लाॅट में लगभग आधी जमीन पर दो छोटे छोटे कमरे और एक छोटी सी रसोई बनाई गई है और अपनी आवश्यकतानुसार कोई भी निर्माण कार्य करने की मनाही है। न कोई पानी का कनेक्शन और न बिजली की सुविधा।
dscn8781दिन भर की वार्ताओं में बस्ती मे रह रहे लोगों का मुख्य आग्रह शहरी समाज से सिर्फ इतना है कि उनके विस्थापन को सिर्फ जमीन या रोज़गार से होने वाला विस्थापन ना समझा जाय क्योंकि इसने उन परिवारों का न केवल परिवेश, संस्कृति और जीवन जीने का तरिका बदला है बल्कि इनके सामने सामाजिक आर्थिक सुरक्षा के साथ साथ अस्तित्व तक कायम रख पाने के खतरे उत्पन्न किये हैं। शान्तिपुर्ण सुरक्षित जीवन पर कम्पनी ने दोहरा प्रहार किया है। एक तरफ, काम करने की जगहों से 20 किलोमीटर दुर इस बस्ती में दिनभर अपराधियों का जमावड़ा रहता है और पुरूषों के काम पर चले जाने के बाद स्त्रियां और बच्चे सभी तरह के शोषण के शिकार होते हैं। दुसरी तरफ, यह विस्थापित बस्ती जिन के जमीन पर बसाई गई है वे इन्हें ही अपना दुश्मन मानते हुए मारने दौड़ते हैं क्योंकि कम्पनी ने यह बस्ती भी पुलिसिया डन्डे के जा़ेर पर बनाई है जमीन के मालिकों को कीमत अदा करके नहीं। पूरी कालोनी में सरकारी मशीनरी की सक्रियता सिवाय देशी शराब के अड्डों के और कहीं नही है, और इन अड्डों पर भी बस इसलिए कि पुलिस को हफता वसुली के लिए यहां तक आना पड़ता है।
पूरी बातचीत के दौरान कम्पनी के द्वारा पाले गये गुण्डों, जो कि हिन्डालको के सुरक्षा अथवा सी0एस0आर0 विभाग भी देखतें हैं, के द्वारा खलल पैदा करने कि तमाम कोशिशें हुईं।
संक्षेप में ही किन्तु प्रतिदिन की रिपोर्ट जारी करने का एकमात्र कारण बस इतना है कि सिंगरौली को उर्जाधानी समझने वाले लोगों से सिंगरौली की आदिवासी किसान कामगार जनता यह आग्रह करती है कि जिनका विनाश करके देश के विकास के खोखले दावे किये जा रहें हैं उनकी जिन्दगी और ज्यादा दयनीय न बनाई जाय।
द्वारा जारी
रवि शेखर
लेकविद्या आश्रम सिंगरौली, मध्य प्रदेश
$91 8225935420/599
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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
[email protected]
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