युनिसेफ ने 15 अक्टूबर 2012 को ग्लोबल हैण्डवाषिंग डे मनाया गया जिसमे बच्चों ने हाथों के धोने व स्वच्छता के महत्व व उपयोगिता पर बढ चढ का भाग लिया और समाज मे अधिक से अधिक लोगों मे जागरूकता फैलाने का संकल्प भी लिया। लखनऊ के साथ साथ युनिसेफ द्वारा पूरे प्रदेश मे ग्लोबल हैण्डवाषिंग डे 2012 के अवसर पर हाथों के धोने व स्वच्छता के महत्व संबधित कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।प्रदेश के यूनिसेफ कार्यालय प्रमुख श्री अदेल खुद्र ने बताया कि ’’बच्चे अतिसंवेदनशील होते हैं। वे अनुपातहीन रूप से अतिसारीय रोगों के शिकार हो जाते हैं। महत्वपूर्ण समय में साबुन से हाथ धोने का एक आसान तरीका जैसे कि शौचालय का उपयोग करने के बाद और भोजन करने से पहले हाथ धोना, एक कम लागत और उच्च प्रभाव वाला जीवनरक्षक हस्तक्षेप हो सकता है।’’ इस वर्ष भी उत्तर प्रदेश में लाखों बच्चे, अभिभावकगण, शिक्षकगण और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताऐं साबुन से हाथ धोने के लिए और इस संदेश को अन्य परिवारों में फैलाने लिए तत्पर रहेंगे। यह सरल संदेश है - हाथ धोओ जीवन बचाओ।
वाराणसी जिले में स्थित प्राथमिक विद्यालय, कचनार में 12 वर्षीय खुशबू अपने स्कूल में काफी लोकप्रिय है। इनको यह लोकप्रियता ऐसे हासिल नहीं हुई, चार साल पहले जब इन्होंने अपने हाथ साफ रखने के लिए साबुन से हाथ धोने की तरकीब सुझाई तो इनके उत्सुक दोस्तों ने इन्हें चारों तरफ से घेर लिया और आत्मविश्वासी खुशबू ने हाथ धोने के महत्वपूर्ण समय के बारे में अपने दोस्तों को बताया। सन् 2008 के बाद से दुनिया भर के लोगों ने 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैण्डवाशिंग डे के रूप में मनाना शुरू किया। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य बीमारियों से बचाव के लिए साबुन से हाथ धोने की महत्व पर जागरूकता फैलाना है। पिछले साल भी दुनिया भर में 70 से अधिक देशों में ग्लोबल हैण्डवाशिंग डे मनाया गया जिसमें 200 मिलियन बच्चों ने भाग लिए। आज वर्ष 2012 में इसकी पाँचवी वर्षगांठ है। उत्तर प्रदेश में भी स्कूलों, शिक्षकों, बच्चों और परिवारों ने इस महत्वपूर्ण अभ्यास के लिए हर वर्ष इस दिवस को मनाने की प्रतिबद्धता जाहिर की और इसके परिणाम उत्साहजनक रहे हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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